मोदी की मीटिंग से LNG डील तक: सरकार ने क्या-क्या किया
कतर में मौत की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है। इनमें से 7 सोमवार सुबह भारत लौट आए। लौटे पूर्व अफसरों ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में दखल नहीं देते तो हम आज आपके सामने खड़े नहीं होते। वो लगातार लगे रहे इसीलिए हम छूट सके।
फैक्टर-1: विदेश मंत्रालय की सधी चाल, कोई बयानबाजी नहीं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 8 दिसंबर 2022 को संसद में कहा था कि कतर से सभी 8 भारतीयों को वापस लाया जाएगा। अगर सरकार इन पूर्व अफसरों को नहीं ला पाई तो वह सेना के सदस्यों और पूर्व सैनिकों में विश्वास कैसे पैदा करेगी। अपने बयान पर कायम रहने के लिए विदेश मंत्री ने जबरदस्त कूटनीति का उपयोग किया। उन्होंने विदेश मंत्रालय से ऐसा कोई बयान नहीं जारी होने दिया जिससे बात बिगड़े।
एमिटी यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्रीश कुमार पाठक के यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने IFS अफसर वाला तर्जुबा लगाया और सारी प्लानिंग की।
दोहा जेल में बंद पूर्व अफसरों को लेकर धीमी कार्यवाही चल रही थी, लेकिन विदेश मंत्रालय इसे लेकर अलर्ट था। 1 अक्टूबर 2023 को जेल में बंद सभी पूर्व अफसरों से कतर में भारत के राजदूत श्री. विपुल ने मुलाकात की।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर ही रहे थे, इसी बीच 26 अक्टूबर को भारतीय नौसेना के पूर्व अफसरों को सजा ए मौत सुनाई गई। सभी चौंक गए, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर बेहद संयमित बयान दिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम इस फैसले से हतप्रभ हैं, लेकिन सारे कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं।
इसके बाद सरकार ने दोहा में गिरफ्तार पूर्व अफसरों के परिजनों के माध्यम से कतर में याचिकाएं लगाईं। 23 और 30 नवंबर को सफलतापूर्वक याचिकाओं पर दो सुनवाई भी हुई। विदेश मंत्रालय ने 8 दिसंबर को कहा कि हम उन्हें सभी कानूनी और दूतावास संबंधी मदद दे रहे हैं।
3 दिसंबर को जेल में बंद पूर्व अफसरों को काउंसलर एक्सेस दिया गया। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने इस मामले में कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, लेकिन वो लगातार लगा रहा। इसमें वक्त लगा, लेकिन नतीजा सबके सामने है।
फैक्टर-2: PM मोदी ने अपने खास अफसर को लगाया
26 अक्टूबर को सभी पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले में अपने पुराने भरोसेमंद आदमी दीपक मित्तल को लगाया। दीपक मित्तल, PM मोदी के भी खास अफसर माने जाते हैं।
1998 बैच के इंडियन फॉरेन सर्विस ऑफिसर दीपक मित्तल वर्तमान में प्रधानमंत्री ऑफिस में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी OSD हैं। दीपक दो साल तक कतर में भारत के राजदूत रह चुके हैं। जब हमारे पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया गया तब वे ही राजदूत थे।
दीपक के कतर के सभी बड़े अफसरों और नेताओं से अच्छे संबंध हैं। वे वहां की नीतियों को अच्छे से जानते हैं। यही कारण था कि सरकार ने उन्हें इस मामले की जिम्मेदारी सौंपी थी।
भारत ने मित्तल के माध्यम से दो तरफा रणनीति अपनाई। एक तरफ दीपक कतर की ऊपरी अदालतों में अपील और अन्य कार्यवाही में भाग ले रहे थे। दूसरी तरफ वे कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से संपर्क भी कर रहे थे।
कतर के अमीर के पास किसी सजा को माफ करने या कम करने का अधिकार होता है। वह इस शक्ति का उपयोग हर साल 18 दिसंबर को कतर के राष्ट्रीय दिवस पर कैदियों को रिहा करने के लिए करते हैं।
दीपक का फोकस अमीर पर था कि वो किसी तरह से जेल में बंद आठों भारतीयों की मौत की सजा माफ कर दें। हालात के अनुसार कतर में भारत सरकार को क्या करना है, ये सलाह भी दीपक ही दे रहे थे।