ई-पेपर

अरबपति बिजनेसमैन के रसोईए ने शुरू की थी नटराज थाली


5 स्टार होटलों में रुकने वाले चखने आते हैं 65 साल पुराना जायका, कार्तिक आर्यन भी फैन

दुनिया के 25 बेहतरीन शहरों में दूसरे नंबर पर शुमार उदयपुर की खूबसूरती की झलक पाने टूरिस्ट देश-विदेश से आते हैं। शहर जितना खूबसूरत है, यहां के जायके भी उतने ही मशहूर हैं।

65 साल से यहां की एक थाली ने स्वाद के दीवानों के दिल में खास जगह बनाई है। ये है नटराज की थाली। अरबपति बिजनेसमैन की रसोई में खाना बनाने वाले एक शख्स ने इस थाली की शुरुआत की थी।

आज कार्तिक आर्यन जैसे कई बॉलीवुड सितारे इनकी थाली में परोसे जाने वाले 19 खास जायकों का स्वाद चख चुके हैं। शहर के 5 स्टार होटलों में रुकने वाले मेहमान भी पता पूछकर नटराज की थाली खाने पहुंच जाते हैं।

तो चलिए जायका की इस कड़ी में आपको भी लेकर चलते हैं उदयपुर के नटराट रेस्टोरेंट पर और बताते हैं आखिर क्यों यह थाली लोगों की जुबान पर रहती है….

नटराज डाइनिंग हॉल की प्रसिद्ध थाली

उदयपुर का 65 साल पुराना जायका

उदयपुर शहर में नटराज की दो ब्रांच है। पहली ब्रांच बापू बाजार स्थित नटराज रेस्टोरेंट के नाम से है और दूसरी रेलवे स्टेशन स्थित नटराज डायनिंग हॉल एंड रेस्टोरेंट के नाम से है।

उदयपुर में सबसे ज्यादा सैलानी गुजरात से आते हैं। जगजाहिर है कि गुजरातियों को खाने में मीठा पसंद है, तो वहीं राजस्थानियों को तीखा। दोनों की पसंद के जायके का एक ही ठिकाना है, उदयपुर का नटराज होटल।

रेस्टोरेंट के मालिक रविन्द्र श्रीमाली बताते हैं कि उदयपुर में देशभर से आने वाले टूरिस्ट भले ही फाइव स्टार होटल्स में ठहरते हैं, लेकिन खाना नटराज में खाने के लिए आते हैं। हमने रेस्टोरेंट की टैग लाइन ‘घर से दूर घर जैसा स्वाद’ रखी है।

कभी किसी तरह की मार्केटिंग नहीं की। पिता भूरालालजी कहते थे कि कस्टमर अगर आपके खाने से संतुष्ट है तो वह अन्य लोगों को यहां के खाने के बारे में जरूर बताएगा। वही सबसे बड़ी मार्केटिंग है कि बॉलीवुड के सितारे भी यहां के खाने की तारीफ करते हैं।

कार्तिक आर्यन सहित कई बॉलीवुड सितारे इस जायके के मुरीद

बॉलीवुड की कई हस्तियां यहां के जायके के मुरीद हैं। नटराज रेस्टोरेंट पर बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन, फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली, एक्टर अन्नू कपूर, ​शाहीन आहूजा, विशाल शेखर और रोनित रॉय आदि इस रेस्टोरेंट पर खाना खाने आ चुके हैं। इम्तियाज अली को यहां की कढ़ी-खिचड़ी बहुत पसंद आई थी। डिस्कवरी चैनल के एंथनी बोर्डन भी नटराज की स्पेशल थाली का स्वाद चख चुके हैं।

नटराज के मयंक श्रीमाली बताते हैं कि पहले जहां रेस्टोरेंट पर सबसे ज्यादा गुजराती टूरिस्ट आते थे। अब कुछ सालों में रुझान बदला है।

दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मुंबई जैसे बड़े शहरों से कई टूरिस्ट जब भी उदयपुर आते हैं, नटराज रेस्टोरेंट का खाना खाने जरूर आते हैं। इन बड़े शहरों से कई टूरिस्ट फैमिली तो ऐसी हैं जो बीते एक दशक में जब भी उदयपुर आए हैं, नटराज का खाना खाने जरूर आते हैं।

कभी बिजनेसमैन के घर बनाते थे खाना, फिर खोला रेस्टोरेंट

नटराज रेस्टोरेंट के रविन्द्र श्रीमाली बताते हैं कि मेरे पिताजी भूरालालजी कलकत्ता में बड़े बिजनेसमैन घराने में खाना बनाते थे। उनके मन में ये विचार आया था​ कि उदयपुर में एक शुद्ध देशी घर जैसा खाना उपलब्ध कराने के लिए रेस्टोरेंट खोला जाए। उन्होंने वर्ष 1958 में लक्ष्मी भोजनालय के नाम से किराए की जगह लेकर इसकी शुरुआत की थी।

65 साल पहले भूरालाल श्रीमाली ने रेंट पर जगह ली और लक्ष्मी भोजनालय खोला। यहां उन्होंने महज 1 रुपए में थाली बेचने की शुरुआत की थी। फिर वर्ष 1970 में उन्होंने बापू बाजार के पास खुद की जगह खरीदी। वे भगवान शिव भक्त थे, इसलिए शिव के अवतार नटराज नाम से रेस्टोरेंट का नाम रखा।

भूरालाल श्रीमाली ने नटराज की शुरुआत की थी।

आज ये इतना फेमस है कि जिस जगह ये है वह जगह नटराज गली के नाम से जानी जाती है। यहां की थाली का स्वाद देश और दुनिया के लोगों को खूब भा रहा है।

राजस्थानी और गुजराती थाली, 19 तरह की डिश

उदयपुर शहर में नटराज की दोनों ब्रांच बापू बाजार और रेलवे स्टेशन स्थित नटराज डायनिंग हॉल एंड रेस्टोरेंट पर दो तरह की थाली राजस्थानी और गुजराती मिलती है।

सूरजपोल चौराहा वाली ब्रांच सबसे पहले वर्ष 1958 में शुरू हुई थी। जहां आज 230 रुपए की थाली है और उसमें 12 तरह की डिश परोसी जाती है। इसमें 2 तरह की दाल, 2 तरह की कढ़ी, स्टार्टर, स्वीट, चावल, खिचड़ी, पापड़, दही और तवा रोटी होती है।

वहीं, रेलवे स्टेशन स्थित नटराज डायनिंग हॉल में थाली का रेट 300 रुपए की थाली है जहां 19 तरह की डिश परोसी जाती हैं। इसमें 4 तरह की सब्जी, 2 तरह की दाल, 2 तरह की करी, 2 स्टार्टर, तवा रोटी, पूड़ी, चावल, खिचड़ी, पापड़, सलाद, छाछ, नमकीन पूड़ी और स्वीट है। यहां हर डिश अनलिमिटेड है।

फुल न्यूट्रीशियन पैकेज की थाली
रेस्टोरेंट मालिक जितेंद्र श्रीमाली बताते हैं कि दोनों ही थालियां फुल न्यूट्रीशियन पैकेज थाली है। जिसमें हरी सब्जी, तवा रोटी, दाल छोले, चना, मूंग), दही, छाछ, सलाद दिया जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए भी पौष्टिक है।

त्योहार के समय स्पेशल स्वीट दी जाती है। इसमें गाजर हलवा, मूंग हलवा, घेवर, जलेबी और मालपुआ आदि परोसे जाते हैं। गुजराती थाली में विशेष तौर से भाखरी, ढोकला, हांडवा और राजस्थानी थाली में दाल-बाटी परोसी जाती है।

पिताजी भगवान राम की चौपाइयां गाते हुए परोसते थे खाना: श्रीमाली

रविन्द्र श्रीमाली बताते हैं कि मेरे पिता भूरालालजी ने जब रेस्टोरेंट खोला तब वे खुद ही खाना बनाते और खुद ही कस्टमर को परोसते थे।

खास बात ये थी कि वे भगवान राम की चौपाइयां गाते हुए कस्टमर को खाना परोसते थे। जो भी नया कस्टमर आता उससे खाने का फीडबैक भी लेते रहते थे। वही परंपरा आज भी कायम है। वे बताते हैं कि पिताजी भले ही अनपढ़ थे, लेकिन उन्हें 8 भाषाओं का ज्ञान था।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need Help?