‘मैंने कानून की पढ़ाई की है। हर दो हफ्ते में कोर्ट जाती हूं, लेकिन वकालत के लिए नहीं, कठघरे में खड़े होने के लिए। गले में वकील का बैंड नहीं पहन सकती, क्योंकि मैं खुद आरोपी हूं। मुझे रोना आता है। मैंने इस दिन के लिए वकालत नहीं की थी कि एक दिन कठघरे में खड़ी रहूंगी। वो भी देशद्रोह के आरोप में। मुझे तालीम मिली थी कि मुल्क की जमीन पहले है, उसके बाद सब कुछ। फिर भी बिना सबूत मुझे देशद्रोही बना दिया।’
ये इशरत जहां हैं। पार्षद रह चुकीं इशरत 2020 के दिल्ली दंगे में हिंसा भड़काने की आरोपी हैं। आरोप तय हो गए हैं, लेकिन अभी जमानत पर हैं। इशरत से जुड़ा मामला 26 फरवरी, 2020 का है। तब दिल्ली के खुरेजी खास में लोग प्रोटेस्ट के लिए जुटे थे। तभी हिंसा भड़क गई।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि इशरत ने भीड़ को उकसाया था। इशरत के साथी खालिद सैफी ने लोगों को पुलिस पर पथराव करने के लिए कहा था। इस दौरान फायरिंग भी की गई।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगा हुए चार साल बीत गए। दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने 758 FIR दर्ज कीं। 695 मामलों में से 88 में कोर्ट का फैसला आ गया है। 19 जनवरी, 2024 को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने इशरत और यूनाइडेट अगेंस्ट हेट संस्था के फाउंडर खालिद सैफी समेत 11 आरोपियों पर दंगे भड़काने और हत्या की कोशिश समेत अन्य धाराओं में आरोप तय किए हैं।
इशरत के वकील से आरोपी बनने तक की कहानी
मैं दिल्ली में ही पैदा हुई थी। मेरे चार बहनें और एक भाई हैं। मां चाहती थी कि बेटियां पढ़ाई करें। इसलिए मैंने वकील बनने का फैसला लिया। अब्बू नहीं हैं, इसलिए भाई पर ही पूरी जिम्मेदारी थी। मुस्लिम परिवार से होने की वजह से वकालत की पढ़ाई करना बहुत मुश्किल था, लेकिन किसी ने मुझे रोका नहीं।
2006 से मैं वकालत कर रही हूं। परिवार के कहने पर पॉलिटिक्स में आई। 2012 में कांग्रेस की टिकट पर कृष्णा नगर वॉर्ड से काउंसलर चुनी गई। ये एरिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, यानी RSS का गढ़ है। इसके बावजूद मैं चुनाव जीती थी।
2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम, यानी CAA के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन हो रहे थे। खुरेजी खास में भी लोग प्रदर्शन कर रहे थे। मैं अक्सर वहां जाती थी। उसी एरिया से पार्षद रही हूं। 2020 में वहां काम करते हुए मुझे 8 साल हो गए थे। इसलिए मैं एक-एक घर से जुड़ी थी।
26 फरवरी, 2020 को मेरे पास किसी का फोन आया। उसने रोते हुए सिर्फ इतना कहा कि पुलिस प्रदर्शन खत्म करवा रही है। यहां लोग 49 दिन से प्रोटेस्ट कर रहे थे। ये प्रोटेस्ट जगतपुरी पुलिस स्टेशन के पास हो रहा था। इतने दिन में कोई FIR या शिकायत नहीं हुई थी। अचानक ही पुलिस आई और भीड़ को हटाने लगी।
फोन आने के बाद मैं वहां पहुंची। पुलिसवालों से बात की, तो उन्होंने मेरे साथ बदतमीजी की। जबरदस्ती PCR वैन में बिठा दिया। फिर मुझे गिरफ्तार करके जगतपुरी थाने ले गए। रात तक नहीं बताया कि मुझे गिरफ्तार क्यों किया है। बस कहा कि आपको हिरासत में लिया है।
बहुत देर तक थाने में बिठाए रखने के बाद पुलिस मेडिकल कराने के लिए अस्पताल ले जाने लगी। मैं भी वकील हूं, मुझे समझ आ गया कि मेरी गिरफ्तारी हुई है। मैंने कहा कि मैं फैमिली और वकील को कॉल कीजिए, उन्हें बताए बिना अस्पताल नहीं जाऊंगी। मेरी कोई बात नहीं सुनी गई।
पुलिसवाले दूसरे लोगों को भी पकड़कर ला रहे थे। उन्हें टॉर्चर किया गया। बहुत मारा-पीटा। मुझे उनकी आवाजें सुनाई दे रही थीं। मैं बहुत डर गई थी। लग ही नहीं रहा था कि ये हमारे इलाके का पुलिस स्टेशन है।
इस केस में मुझे अगले दिन जमानत मिल गई। मैं जेल से बाहर भी नहीं आ पाई थी कि मेरे ऊपर दूसरा केस लगा दिया। कोर्ट में पेश किया और रिमांड पर भेज दिया।
25 महीने जेल में रही, स्टाफ आतंकवादी कहता था
मैं 25 महीने मंडोली जेल में रही। लगता था जल्दी जमानत मिल जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जेल जाने से पहले मेरी शादी तय हो गई थी। परिवार ने अंतरिम जमानत के लिए कोर्ट में एप्लिकेशन लगाई। शादी के लिए 10 जून, 2020 को 10 दिन की अंतरिम जमानत मिली थी। 12 जून को मेरी शादी हुई। इसके बाद 19 जून को फिर जेल चली गई।