पार्षदों को लालच देने का आरोप, बोलीं- पूर्व बड़बोले मंत्री ने रचा पूरा षड्यंत्र
जयपुर नगर निगम हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर ने बीजेपी में जाने की बात को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस में ही हूं। इसी नाते साधारण सभा की बैठक भी ले रही हूं। खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को भी उन्होंने नकार दिया है।
वो कहती हैं- मैं हर मुद्दे पर बहस करने को तैयार हूं। वैसे भी जिस पूर्व बड़बोले मंत्री ने मेरे खिलाफ यह साजिश रची थी। सिविल लाइंस की जनता ने चुनाव में उसे जवाब दे दिया है। बूचड़खानों को लेकर कहती हैं- इससे शहर बदसूरत हो रहा। इसलिए टास्क फोर्स बनाई गई है।
मुनेश गुर्जर से दैनिक भास्कर ने तमाम पहलुओं पर बात की, पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश…
सवाल – पार्षदों का आरोप है कि साधारण सभा के एजेंडे आपने मनमर्जी से तैयार किए हैं। आम पार्षदों से उनकी राय या सुझाव नहीं पूछा गया?
जवाब – साधारण सभा में पार्षदों द्वारा ही एजेंडे रखे गए हैं। उन्हीं के मुद्दों को ध्यान में रख इस बार साधारण सभा में चर्चा की जाएगी। चाहे वह सफाई कर्मचारियों का मुद्दा हो या फिर वाल्मीकि समाज के छात्रों के लिए स्कूल का मुद्दा हो। सभी मुद्दे पार्षदों की राय पर ही साधारण सभा की बैठक में एजेंडे के तौर पर शामिल किए गए हैं।
सवाल – स्कूलों का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय रखने का प्रस्ताव, तो क्या बीजेपी में जाने की तैयारी शुरू कर दी है?
जवाब – यह सुझाव भी पार्षदों से ही मुझे मिला था। इसे मैंने साधारण सभा की बैठक में शामिल करने का फैसला किया है। मेरा उद्देश्य तो सिर्फ इसमें इतना था कि उन स्कूलों का जीर्णोद्धार हो जाए।
उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी सुविधा मिलनी शुरू हो जाए। इन स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे वाल्मीकि समाज के हैं। इनके माता-पिता जयपुर की स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं।
वैसे रही बात बीजेपी जॉइन करने की तो फिलहाल मैं कांग्रेस पार्टी से ही मेयर हूं। चर्चाएं कुछ भी हो सकती हैं। उन्हें रोका नहीं जा सकता है। हाल-फिलहाल में कांग्रेस में ही हूं। बतौर कांग्रेस मेयर ही मैं साधारण सभा की बैठक में हिस्सा लूंगी।
सवाल – नगर निगम के सालाना बजट को आपने बिना पार्षदों से चर्चा किए ही सरकार के पास भिजवा दिया। इसका क्या कारण था?
जवाब – नियमों के तहत 15 फरवरी तक मुझे बजट सरकार के पास भेजना था। उस वक्त लोकसभा और विधानसभा भी चल रही थी। साधारण सभा की बैठक का आयोजन करना संभव नहीं था।
उस वक्त किसी पार्षद ने साधारण सभा की बैठक करने को लेकर कोई मांग भी नहीं उठाई। ना ही बजट पर चर्चा करने की बात कही। लेकिन अब भी देर नहीं हुई है।
मैं पूरी कोशिश करूंगी कि अगले बजट को लेकर साधारण सभा की बैठक में चर्चा हो। ताकि पार्षद अपने विचार रख सकें। निगम के कुछ पार्षद तो इतने लापरवाह हैं कि साधारण सभा की बैठक को लेकर भी एक दिन पहले प्रस्ताव दे रहे हैं। जबकि उन्हें पता है नियमों के तहत प्रस्ताव काफी पहले आयुक्त या फिर मेयर को देने होते हैं।
सवाल – कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों ने आप पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस कभी भी आपको गिरफ्तार कर सकती है। आपका मेयर पद फिर से जा सकता है। क्या इस बात को लेकर आपको डर लगता है?
जवाब – मेरे साथ जो षड्यंत्र हुआ था, उसका जवाब सिविल लाइंस और जयपुर की जनता ने चुनाव में दिया था। सिविल लाइंस की जनता ने षड्यंत्र रचने वाले को नकार दिया। यह जनता ही है, जो किसी को भी अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर ले जाने के काबिल है।
सवाल – आपके खिलाफ किसने और क्यों षड्यंत्र रचा था?
जवाब – पूर्व सरकार के मंत्री थे। उन्होंने मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा था। जब मैं मेयर बनी तो कुछ महीने बाद ही उन्होंने मेरे खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू करवा दिया था। मुझे हटाने के लिए उन्होंने काफी कोशिश की थी।
कभी पार्षदों से साइन करवाए। कभी अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की थी। लेकिन उनकी सोची-समझी साजिश को जनता समझ गई। इसका उन्होंने बखूबी जवाब भी दिया।
वैसे भी मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो किसी को गिराकर ऊपर जाऊं। मैं खुद की लंबी लकीर खींचने में विश्वास रखती हूं। मैं जयपुर की जनता की सेवा करने के लिए इस पद पर हूं। जब तक सुदर्शन चक्र वाला चाहेगा तब तक मैं यहां रहूंगी जिस दिन वह नहीं चाहेगा। मैं खुद ब खुद इस पद को छोड़ चली जाऊंगी।