हम बॉर्डर पर स्थिरता चाहते हैं, लेकिन भारत जो कर रहा उससे शांति नहीं होगी
चीन ने कहा है कि LAC पर ज्यादा भारतीय सैनिकों की तैनाती दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए सही नहीं है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा- हम भारत के साथ मिलकर सीमा और उसके आसपास के क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिए काम करने को तैयार हैं।
माओ निंग ने कहा- LAC को लेकर भारत के कदम शांति स्थापित करने के पक्ष में नहीं हैं। दरअसल कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने अपनी पश्चिमी सीमा से करीब 10 हजार सैनिकों को हटाकर उन्हें LAC के पास तैनात कर दिया है। हालांकि, अब तक भारतीय सेना या सरकार की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
चीन ने कहा था- LAC पर भारत के साथ स्थिति सामान्य
कुछ दिन पहले ही चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि LAC बॉर्डर पर भारत के साथ फिलहाल स्थिति सामान्य है। 19 फरवरी को दोनों देशों के बीच 21वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर लेवल मीटिंग हुई थी। इस दौरान भारत-चीन के बीच सकारात्मक बातचीत हुई।
चीन ने कहा था- दोनों देशों ने LAC को लेकर एक-दूसरे की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए हल निकालने पर सहमति जताई। हालांकि, भारत ने कहा था की चुशुल-मोल्डो बॉर्डर पॉइंट पर 21वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर-लेवल बैठक में चीन ने देपसांग और डेमचोक के ट्रैक जंक्शन से सेना हटाने की भारत की मांग को ठुकरा दिया।
जयशंकर बोले- चीन लिखित समझौतों को नहीं मानता
गुरुवार (7 मार्च) को जापान दौरे पर गए भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के साथ रिश्तों पर बात की थी। उन्होंने कहा था- 1975 से 2020 तक बॉर्डर पर शांति थी। 2020 (गलवान झड़प) में सब बदल गया। भारत-चीन कई मुद्दों पर सहमत नहीं हैं।
जयशंकर ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा था- जब पड़ोसी लिखित समझौतों का उल्लंघन करे तो ये चिंता की बात है। इससे दोनों के रिश्तों की स्थिरता पर सवाल खड़े होते हैं। दुनिया बदल रही है ऐसे में दूसरे देशों के साथ भारत के रिश्तों में भी बदलाव आ रहा है। इसमें उग्र होने की जरूरत नहीं है।
चीन ने कहा था- लद्दाख हमारा हिस्सा
दूसरी तरफ, दिसंबर 2023 में चीन ने कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की निंदा की थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था- इस फैसले का बीजिंग पर कोई फर्क नहीं पड़ता। भारत-चीन बॉर्डर का पश्चिमी हिस्सा हमेशा से चीन का रहा है।
चीन ने आगे कहा था- हमने कभी भी भारत के एकतरफा और अवैध तौर पर स्थापित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये सच्चाई नहीं बदल सकती कि सीमा का पश्चिमी हिस्सा चीन का है।