3 साल में जुटाई 5000 KG पॉलीथिन, कचरे से बनाएंगे मेज-कुर्सियां
अपनी चाय की दुकान पर इस तरह का बैनर लगाने वाले ग्रीन वॉरियर कानाराम मेवाड़ा (33) पुत्र लालचंद मेवाड़ा अपने अभियान के कारण चर्चा में हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए 10वीं फेल कानाराम ने प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने और रीयूज (दोबारा इस्तेमाल) करने लायक बनाने के मिशन में जुटे हैं। वे डोर-टू-डोर जाकर प्लास्टिक इकट्ठा करते हैं और इसके बदले रुपए, गिफ्ट आदि देते हैं।
कानाराम के प्रयासों से पाली के जवाई बांध इलाके के 12 से ज्यादा गांवों में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगी। अब ये गांव साफ-सुथरे नजर आने लगे हैं। कानाराम का कहना है- प्लास्टिक जमीन को बंजर बनाता है।
गांव घूमने आए विदेशी पर्यटक ने कचरा देख नाक बंद किया तो बुरा लगा
कानाराम मेवाड़ा ने बताया- गांव में मेरी चाय की छोटी दुकान है। इसी से घर चलता है। जवाई बांध क्षेत्र टूरिज्म एरिया है। यहां अक्सर विदेशी सैलानी गांव का कल्चर देखने आते हैं। 3 साल पहले विदेशी सैलानियों का एक दल बिसलपुर गांव घूमने आया।
गांव की नाली में प्लास्टिक की थैलियों के फंसने से गंदा पानी सड़क पर फैला हुआ था। यह देख सैलानियों ने अपनी नाक बंद कर ली और अंग्रेजी में बोले- यहां कितनी गंदगी है। यह बात दिल में चुभ गई। सोचा कि गंदगी से हमारे गांव की बदनामी हुई। कुछ ऐसा किया जाए कि मेहमान गांव की तारीफ करें।
पॉलीथिन को लेकर मुंबई में सामाजिक संस्था चलाने वाले बिसलपुर निवासी दिलीप कुमार जैन से मुलाकात हुई। दिलीप ने बताया कि प्लास्टिक जमीन को बंजर बनाता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए गांव को प्लास्टिक मुक्त करना होगा।
अब कचरे से बनाएंगे बेंच-कुर्सियां
कानाराम मेवाड़ा ने 3 साल में जुटे 5 टन प्लास्टिक को रखने के लिए किराए पर गोदाम लिया। एनजीओ से जुड़े दिलीप कुमार जैन की मदद से 10 लाख रुपए में एक मशीन खरीदी है। इससे इस वेस्ट से बेंच, डस्टबिन, कुर्सियां आदि बनाई जा सकेंगी। कचरे का भी निपटारा होगा। इस तरह प्लास्टिक का दोबारा इस्तेमाल हो सकेगा।
कानाराम मशीन बेचने वाली कंपनी से 15 दिन की ट्रेनिंग भी लेकर आए हैं। उन्होंने इसे ऑपरेट करना सीख लिया है। वेस्ट प्लास्टिक से उन्होंने तकिया, टी-टेबल, डस्टर, सजावटी सामान आदि बनाया भी है, जो लोगों को पसंद आ रहा है। इस काम में कानाराम की पत्नी मोनिका भी मदद कर रही हैं।