दोपहर में उड़ती है गुलाल अबीर, तो शाम को गैर की मस्ती
राजसमंद में गढबोर स्थित मेवाड् के प्रसिद्ध धाम चारभुजानाथ मंदिर में इन दिनों फागोत्सव की धूम मची हुई है। राजसमंद के पुष्टि मार्गीय मंदिरों सहित अन्य मंदिरों में धुलंडी के बाद से मंदिरों में गुलाल अबीर की सेवा बंद कर दी गई। वही चारभुजानाथ मंदिर में धुलंडी से फागोत्सव की शुरुआत होती है, जो 15 दिनों तक चलती है।
फागोत्सव के तहत प्रतिदिन चारभुजा नाथजी का पुजारियों द्वारा विशेष श्रृंगार धराया जाता हैं और दोपहर के समय निज मंदिर से चारभुजानाथ के बाल स्वरूप ठाकुरजी को मंदिर से बाहर पधराया जाता है। इस दौरान ठाकुरजी के मंदिर से बाहर आने तक श्रद्धालुओं में भारी उत्साह रहता है।
मंदिर के मुख्य द्वार के पास ही सोने-चांदी की पालकी में ठाकुरजी को विराजित कर विशेष श्रृंगार कर भोग धराया जाता है। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए पुनः दर्शन खोले जाते है। इस दौरान पुजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा ठाकुरजी को गुलाल अबीर की सेवा पूरी की जाती है और जमकर गुलाल उड़ाई जाती है। दोपहर करीब 3 बजे से शाम 6 बजे तक यह क्रम चलता है। उसके बाद ठाकुरजी को पुनः मंदिर में पधराते है।
इस पूरे उत्सव के दौरान मंदिर के पुजारियों द्वारा 2 अलग अलग समूह बनाकर हरजस गान किया जाता है। इसके बाद में रात्रि के समय पुजारी परिवार के पुरूष सदस्य मेवाड़ी वेशभूषा में सज-धज कर मंदिर आते है और मेवाड़ का पारंम्परिक गैर नृत्य खेलते है जो रात्रि तक चलता है।