आज एक दिन पहले बनाया ठंडा ही खाएंगे, थाली में ओलिया और कैर-सांगरी की सब्जी
आज शीतला सप्तमी मनाई जा रही है। उदयपुर में सुबह से ही महिलाओं ने शीतला माता स्थानकों में पर जाकर पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही आज घरों में चूल्हें नहीं जले और एक दिन पहले बनाया ठंडा ही खा रहे है। वैसे उदयपुर में अष्टमी मनाई जाती है।
इस दिन माताजी को ठंडा नैवेद्य चढ़ाकर ठंडा खाने की परम्परा है। इसी परम्परा को निभाते हुए आज घरों में चूल्हे नहीं जलेंगे। इसके लिए एक दिन पहले रविवार को ही उदयपुर शहर और गांवों में महिलाओं ने खाना व भोग बना कर तैयार कर लिया।
सबसे पहले आज सुबह पूजा-अर्चना कर महिलाओं ने घर-परिवार में लोगों को निरोगी रखने के साथ सुख-शांति की कामना की। सुबह से ही महिलाएं सज धजकर सिटी पैलेस के बाहर रंग निवास स्थित शीतला माता मंदिर व शीतला माता स्थानकों पर पहुंची जहां पर पूजा-अर्चना की। माताजी को महिलाओं ने आटे से बने जेवर,चूडिय़ां आदि चढाई। माता की पूजा के बाद पथवारी की पूजा की।
सप्तमी पूजने वाले परिवारों ने एक दिन पहले भोग के लिए घरों में व्यंजन बनाए। इनमें खट्टा-मीठा ओलिया, पूड़ी, कैर-सांगरी की सब्जी, कच्ची कैरी की सब्जी, मक्की के पापड़, पपडिय़ां, गेहूं की खीच, लापसी, दही बड़े आदि शामिल हैं।
मेवाड़ में अष्टमी पूजन की परंपरा
जो लोग मेवाड़ में बाहर से आकर बस गए हैं, वे शीतला सप्तमी पूजते हैं जबकि मेवाड़ के लोग अष्टमी पूजते हैं। असल में मेवाड़ में शीतला अष्टमी पूजन की ही परंपरा है। अष्टमी पर सिटी पैलेस से पारंपरिक रूप में लवाजमा शीतला माता मंदिर पहुंचता है।