रामदेव ने कल नया माफीनामा दिया; पुराने एफिडेविट पर कोर्ट ने कहा था- खानापूर्ति नहीं चाहिए
पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले 2 अप्रैल को हुई सुनवाई में पंतजलि की तरफ से माफीनामा जमा किया गया था। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा था, कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा।
एक दिन पहले यानी 9 अप्रैल को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने नया एफिडेविट फाइल किया। जिसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
2 अप्रैल कोअदालत ने कहा- रामदेव की माफी मान्य नहीं; सरकार ने आंखें क्यों मूंदे रखीं
2 अप्रैल को सुनवाई के दौरान रामदेव के वकील बलवीर सिंह ने कोर्ट से कहा कि योगगुरु माफी मांगने के लिए यहां मौजूद हैं। भीड़ की वजह से कोर्टरूम नहीं आ पाए। अदालत ने एफिडेविट देखने के बाद फटकार लगाई और कहा कि यह प्रॉपर एफिडेविट नहीं है।
जब बलवीर सिंह ने माफीनामा पढ़ा तो अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में आदेशों का उल्लंघन करने वाला माफी मांगता है। हमें रामदेव के वकील का माफीनामा नहीं सुनना। बेंच ने कहा, “केवल सुप्रीम कोर्ट नहीं, देश की हर अदालत के आदेश का सम्मान होना चाहिए। आपको अदालत के निर्देशों का पालन करना था और आपने हर सीमा लांघी।