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अमित शाह फेक वीडियो केस-जवाब देने एक भी नहीं आया


दिल्ली पुलिस ने 4 राज्यों के 22 लोगों को बुलाया था; तेलंगाना CM को दोबारा भेजेंगे नोटिस

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो शेयरिंग करने के मामले में गुरुवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) के सामने किसी भी राजनीतिक दल का एक भी सदस्य पेश नहीं हुआ। पुलिस के मुताबिक इस केस में झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों के कई राजनीतिक दलों के लगभग 22 लोगों को नोटिस दिया गया। इन सभी को गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को पुलिस के सामने पेश होने कहा गया है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के चार सदस्यों – शिव कुमार अंबाला, अस्मा तसलीम, सतीश मन्ने और नवीन पेटम को CrPC की धारा 91 और 160 के तहत समन जारी किए गए हैं। हालांकि, अगर किसी शख्स को CrPC की धारा 160/91 के तहत नोटिस दिया जाता है, तो वह शख्स या तो खुद जांच अधिकारी के सामने पेश हो सकता है या अपना कानूनी प्रतिनिधि भेज सकता है। बुधवार को रेड्डी के वकील जांच अधिकारी के सामने हाजिर हुए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता का शाह के भाषण का फेक वीडियो बनाने या पोस्ट करने से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है अमित शाह का डीपफेक वीडियो मामला?
27 अप्रैल को सोशल मीडिया पर अमित शाह का एक फेक वीडियो वायरल हुआ। इसे तेलंगाना कांग्रेस और CM रेवंत रेड्डी ने शेयर किया था। इसमें वे SC-ST और OBC के आरक्षण को खत्म करने की बात करते दिख रहे हैं। PTI की फैक्ट चैक यूनिट ने कहा कि मूल वीडियो में अमित शाह ने तेलंगाना में मुसलमानों के लिए असंवैधानिक आरक्षण हटाने की बात कही थी। इस मामले को लेकर 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने मामले में FIR दर्ज की और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को समन जारी किया। उनसे 1 मई को पूछताछ होगी।


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