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उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर UT के पहले मुख्यमंत्री


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रैना को हराने वाले सुरेंदर चौधरी डिप्टी CM, कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं

नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वे इस केंद्र शासित राज्य के पहले सीएम बन गए। कार्यक्रम श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में हुआ।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं हुई है। हालांकि उमर के शपथ समारोह में राहुल और प्रियंका गांधी मौजूद रहे। कांग्रेस ने सरकार को बाहर से समर्थन दिया है। पार्टी का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलने तक उसकी लड़ाई जारी रहेगी।

शपथ लेने के बाद उमर ने कहा कि उनकी गाड़ी के लिए सड़क पर कोई भी ग्रीन कॉरिडोर या ट्रैफिक नहीं रोका जाएगा। उन्होंने अपने मंत्रियों से भी अनुरोध किया है कि वे भी ऐसा ही करें। उमर का कहना है कि वे जनता की सेवा के लिए हैं, न कि उन्हें तकलीफ देने के लिए।

समारोह में 50 से ज्यादा VIP, केजरीवाल-ममता नहीं आए शपथ में I.N.D.I.A. ब्लॉक के नेताओं में अखिलेश यादव, संजय सिंह समेत 6 पार्टियों के लीडर्स पहुंचे थे। संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी, तमिलनाडु CM एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, लालू प्रसाद यादव और अरविंद केजरीवाल सहित करीब 50 VIPs को न्योता भेजा गया था। हालांकि केजरीवाल और ममता बनर्जी समारोह में नहीं पहुंचे।

भाजपा बोली- उम्मीद है शांति स्थापित करेंगे: जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा- मैं उमर अब्दुल्ला को बधाई देता हूं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। उनके मंत्रिपरिषद को भी बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि वे जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने और जनता के सामने आने वाले मुद्दों को हल करने के लिए काम करेंगे।

PDP बोली- लंबे समय बाद स्थिर सरकार: PDP चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा- मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को बधाई देती हूं, क्योंकि उन्हें लंबे समय के बाद एक स्थिर सरकार मिली है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए यह बहुत कठिन समय था। हमें उम्मीद है कि जो सरकार बनी है वह सबसे पहले घावों को भरेगी और लोगों की समस्याओं और पीड़ाओं को हल करेगी।

सरकार गठन के बाद होने हैं राज्यसभा चुनाव राष्ट्रपति शासन हटने और सरकार गठन के बाद प्रदेश की चार राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव होने हैं। इसके लिए चर्चाएं अभी से तेज हो गई हैं। चुनाव में जीती सीटों के हिसाब से दो राज्यसभा सीटें NC-कांग्रेस गठबंधन और एक बीजेपी के खाते में जा सकती है। NC अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को राज्यसभा भेजा जा सकता है। खराब सेहत के चलते उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।बची हुई एक सीट पर चुनाव हो सकते हैं। चुनाव में यह सीट किसके हिस्से जाएगी, ये उस समय के राजनीतिक समीकरण ही तय करेंगे। ठीक यही स्थिति 2015 में भी बनी थी। तब सत्तारूढ़ PDP-भाजपा को एक-एक सीट मिली थी। NC ने तब कांग्रेस प्रत्याशी (अब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नेता) गुलाम नबी आजाद को समर्थन दिया था। चौथी सीट चुनाव के बाद PDP-भाजपा गठबंधन के खाते में आई थी।


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