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पिंजरा तोड़कर भागा लेपर्ड, पग मार्क नहीं मिले


वन विभाग की लापरवाही आई सामने, ACF बोले-  रेस्क्यू के बाद डिस्टर्ब नहीं करते, तनाव में रहता है

उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पिंजरे से भागे लेपर्ड का अब तक कुछ पता नहीं चला है। वनकर्मी पार्क के अंदर ही उसकी तलाश कर रहे है। वन विभाग की इसमें बड़ी लापरवाही सामने आई है। सवाल था कि आखिर रात में ही लेपर्ड को ट्रैप पिंजरे से शिफ्ट क्यों नहीं किया गया। इस पर विभाग का कहना है- रेस्क्यू के बाद हम जानवर को डिस्टर्ब नहीं करते। कैद में आने के बाद वो तनाव में रहता है। वहीं टूरिस्ट पर हमले के डर से आज बायोलॉजिकल पार्क बंद है। वन विभाग की इस लापरवाही के बाद मुख्य वन संरक्षक (CCF) एसआरवी मूर्ति ने उप वन संरक्षक (DFO) याघवेंद्र सिंह को लेकर जांच सौंपी है।

उदयपुर में बायोलोजिकल पार्क की चारदीवारी पर लगी ये फैसिंग जिसमें करंट प्रवाहित होता है ताकि जानवर बाहर जाने की कोशिश करते तो झटका लगता है।

गोगुंदा-झाड़ोल से लेपर्ड को पकड़कर लाते सज्जनगढ़ सिंतबर से उदयपुर के गोगुंदा-झाड़ोल और शहर से सटे इलाकों में लेपर्ड का मूवमेंट बढ़ा है। आदमखोर लेपर्ड कई लोगों की जान ले चुका है। इस कारण उसे मारने का भी आदेश दिया गया था। एक लेपर्ड को मारा भी जा चुका है, हालांकि वो आदमखोर था या नहीं ये कहना मुश्किल है। वहीं पिंजरे में कैद लेपर्ड को सज्जनगढ़ बायोपार्क लाया जा रहा है। अब लखावली से पिंजरे में कैद लेपर्ड के बायोपार्क से भागने और उसे यहां लाकर फिक्स पिंजरे में शिफ्ट नहीं करने सहित कई लापरवाही सामने आ रही है।

ट्रैप पिंजरे से फिक्स पिंजरे में करते शिफ्ट लेपर्ड का मूवमेंट जिस जगह होता है। उस जगह पिंजरा लगाया जाता है। उस पिंजरे को ट्रैप पिंजरा कहते है। उसके एक भाग में जानवर को रखने की जगह होती है, जिसके शिकार के चक्कर में लेपर्ड पिंजरे में आता है। लेपर्ड के अंदर आते ही पिंजरा अपने आप बंद हो जाता है। इस पिंजरे को लेकर वन विभाग बायो पार्क लेकर आता है। यहां से लेपर्ड को फिक्स पिंजरे में शिफ्ट किया जाता है।

बायो पार्क से बाहर नहीं जा सकता लेपर्ड वन विभाग का मानना है- लेपर्ड बायो पार्क के अंदर ही है और वह बाहर नहीं जा सकता है। इसके पीछे सहायक वन संरक्षक गणेशलाल गोठवाल तर्क देते है- बायो पार्क के चारों तरफ जो सौर ऊर्जा के करंट प्रवाहित होने वाली फेंसिंग लगी है। वहां लेपर्ड नहीं जा सकता है। अगर वह जाने की कोशिश करता है तो उसे करंट का झटका लगता है। हमारी टीम ने चारों तरफ पूरी फेंसिंग चेक कर ली लेकिन कहीं हमें फेसिंग के टूटा होने का निशान नहीं मिला है। न ही ऐसे कोई पग मार्क बाहर की तरफ दिखे है।

मंगलवार को बायो पार्क बंद होने से मुख्य गेट बंद था तो सेंचुरी का गेट खुला रहा।

लेपर्ड छलांग लगाकर जा सकता एक्सपर्ट के अनुसार- लेपर्ड किसी भी पेड़ पर चढ़कर बाहर की तरफ छलांग लगाकर जा सकता है। सबसे बड़ी बात है कि बाहर की तरफ सज्जनगढ़ सेंचूरी है। उस तरफ लेपर्ड चला गया तो वन विभाग के सामने उसे खोजने में मुश्किल है। अंदर कवर्ड एरिया में भी वह नहीं मिला।

अगर बाहर गया तो आबादी में या बायो पार्क में अब सवाल उठता है कि अगर लेपर्ड 36 हैक्टयर में फैले बायो पार्क की चारदीवारी से बाहर गया तो किस दिशा में गया है। वह बायो पार्क से सज्जनगढ़ सेंचुरी में गया तो जंगल और पहाड़ी क्षेत्र में चला गया होगा लेकिन इसकी सड़क पर दुपहिया, पैदल और चारपहिया गाड़ियों में टूरिस्ट का आना जाना रहता है। ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठते है। अगर लेपर्ड बायो पार्क से सटे आबादी एरिया में चला गया तो लोगों की जान पर खतरा होगा। आबादी एरिया में सज्जनगगर ब्लॉक में कई कॉलोनियां है और सटे ही कई रिसोर्ट और होटल है।


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