झारखंड बन गया, लेकिन कुछ नेता उन्हीं की गोदी में जाकर बैठ गए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को झारखंड विधानसभा के पहले फेज में होने वाली 43 सीटों पर चुनाव के लिए गढ़वा और चाईबासा में दो रैलियां करने पहुंचे हैं। पहली रैली गढ़वा के चेतना गांव में श्रीकृष्ण गौशाला मैदान में हो रही है। यह आजादी के बाद गढ़वा में पहली बार किसी प्रधानमंत्री की चुनावी सभा है।
कुछ लोग जो यहां बैठे हैं वो कहते थे हमारी छाती पर झारखंड बनेगा। उनकी छाती पर झारखंड बन गया लेकिन झारखंड के कुछ नेता उनकी गोदी में जाकर बैठ गए। पिछले 10 वर्षों में झारखंड के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्र सरकार ने बहुत फोकस किया। झारखंड को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाली सड़कों को आधुनिक और चौड़ा किया जा रहा है। यहां रेल कनेक्टिविटी को सश्कत किया जा रहा है। 12 आधुनिक वंदे भारत ट्रेनें कनेक्ट कर रही हैं। गंगा जी पर जो वाटर वे बन रहा है उससे भी झारखंड कनेक्टेड है।
मोदी की स्पीच सिलसिलेवार पढ़ें…
- झारखंड बीजेपी का संकल्प पत्र रोटी, बेटी और माटी के सम्मान और सुरक्षा और समृद्धि के लिए समर्पित है। माताओं, बहनों और बेटियों के कल्याण के लिए इसमें अनेक संकल्प लिए गए हैं। गोगो दीदी योजना- इसमें हर महीने माताओं बहनों को 2100 रुपए मिलेंगे।
- मेरी गरीब परिवार की माताओं बहनों को पहले हमने उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिए। अब झारखंड में बनने जा रही भाजपा सरकार 500 रुपए में सिलेंडर देगी। अगले साल दीपावली और रक्षाबंधन पर झारखंड की बहनों को दो मुफ्त सिलेंडर भी मिलने वाले हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा की बहनों से ये वादा किया और इसे पूरा भी किया।
- कांग्रेस, आरजेडी ने झूठे वादे किए हैं। इन्होंने 5 साल तक माताओं बहनों के लिए कुछ नहीं किया। जब भाजपा की योजनाएं आई हैं, तो इन्होंने माताओ-बहनों की आंखों में धूल झोंकने के लिए झूठी घोषणाएं की हैं
गैस पाइपलाइन झारखंड वालों को सस्ती गैस पहुंचाने में मदद कर रही है। झारखंड के किसानों और उद्योगों को बल देने के लिए केंद्र सरकार अपनी तरफ से हर कोशिश कर रही है। ये तब है जब झारखंड की जेएमएम सरकार ने विकास के हर काम में रोड़े अटकाने की कोशिश की है, लेकिन हम ईमानदारी से झारखंड के विकास का हर काम कर रहे हैं।
गढ़वा के बाद चाईबासा में दूसरी रैली इन दो रैलियों के जरिए प्रधानमंत्री कुल 23 सीटों को साधने की कोशिश करेंगे। 2019 में भाजपा इन 23 में से सिर्फ 5 सीटें ही जीत पाई थी। हालांकि, वर्तमान में देखें तो 2019 में जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय जीते सरयू राय NDA प्रत्याशी हैं। साथ ही हुसैनाबाद से NCP के टिकट पर चुनाव जीते कमलेश सिंह इस बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में है। झारखंड पहुंचने से पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘झारखंड की जनता-जनार्दन ने विधानसभा चुनाव में भाजपा की विजय का शंखनाद कर दिया है। लोकतंत्र के उत्सव में जोश और उत्साह से भरे इसी माहौल के बीच आज सुबह करीब 11:30 बजे गढ़वा में और दोपहर बाद लगभग 3 बजे चाईबासा में अपने प्रियजनों से संवाद का सौभाग्य मिलेगा।’
पलामू में पार्टियों की स्थिति समझिए…
NDA के अन्य घटक दलों की तुलना में भाजपा यहां मजबूत है। अभी 9 में से 5 विधायक भाजपा के हैं। पलामू प्रमंडल में विकास के मुद्दों के अलावा पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ-साथ पिछड़े वर्गों और आदिवासी वोटरों को भी अपनी ओर करने में लगी है। 2024 लोकसभा चुनाव के रिजल्ट को देखे तो भाजपा मजबूत स्थिति में है। यहां से भाजपा के बीडी राम ने शानदार जीत दर्ज की है। वहीं, I.N.D.I.A गठबंधन में झामुमो का प्रभाव आदिवासी इलाकों में मजबूत है। माले, राजद और कांग्रेस साथ चुनाव लड़ रही है। इस स्थिति में कड़ी टक्कर है। गठबंधन विकास के मुद्दों के साथ-साथ आदिवासी हितों और कई अन्य मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है।
पलामू प्रमंडलः NDA और ‘INDIA’ में कांटे की टक्कर पलामू प्रमंडल में तीन जिले हैं। पलामू, लातेहार और गढ़वा। विधानसभा की 9 सीटें हैं। इसमें 6 सीटें सामान्य हैं। दो सीटें एससी और एक एसटी के लिए आरक्षित हैं। ये सीटें हैं मनिका, लातेहार, पांकी, छतरपुर, डालटनगंज, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर।
सभी विधानसभा क्षेत्रों में जात-पात की राजनीति का काफी प्रभाव है। मनिका को छोड़ लगभग अन्य सीटों पर बिहार स्टाइल की जातिगत राजनीति होती है। चुनावी समीकरण की स्थिति यह है कि 9 में से 6 सीटों पर पिछले चुनाव की तरह इस बार भी मुख्य प्रतिद्वंदी NDA और INDIA का मुकाबला है। ये सीटें हैं लातेहार, पांकी, डालटनगंज, विश्रामपुर, गढ़वा और भवनाथपुर। वहीं, मनिका, छतरपुर और हुसैनाबाद में नया समीकरण बन सकता है। खास बात है कि किसी भी दल ने अपने वर्तमान विधायक का टिकट नहीं काटा है। फिलहाल, दोनों गठबंधन बराबरी पर नजर आ रहे हैं।
जातीय समीकरण: आदिवासी-ओबीसी को साधने में जुटे दोनों गठबंधन पलामू प्रमंडल में ब्राह्मण, यादव, कुर्मी, मुस्लिम, आदिवासी और अनुसूचित जाति के वोटर प्रमुख हैं। इन समुदायों के वोटर्स को साधने के लिए राजनीतिक दलों के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति है। मोटे तौर पर यादव और अन्य पिछड़ी जातियों का समर्थन राजद, कांग्रेस और झामुमो को मिलता रहा है। भाजपा की पैठ सवर्ण जातियों और शहरी मतदाताओं में है। पलामू प्रमंडल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स का भी प्रभाव है। झामुमो और कांग्रेस का आदिवासी मतदाताओं पर प्रभाव दिखता हैं।
कोल्हान में है सबसे बड़ी लड़ाई, PM ने संभाली कमान भाजपा गठबंधन के लिए कोल्हान बड़ी चुनौती की तरह है। हवा का रुख बता रहा कि राज्य के इसी हिस्से में सबसे तीखी लड़ाई लड़ी जाएगी। ऐसा इसलिए कि कोल्हान का रुख ही तय कर देता है कि किसकी सत्ता आएगी, किसकी जाएगी। 2019 का विधानसभा चुनाव नजीर है। कोल्हान में NDA का खाता नहीं खुला तो सरकार चली गई। सत्ता के दावेदार दोनों गठबंधनों को कोल्हान की अहमियत का एहसास है।
चाईबासा में होने वाली सभा से मोदी आदिवासी वोटरों के साथ ही कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने का प्रयास करेंगे। कोल्हान की 14 सीटों पर औसतन 20 से 25 फीसदी वोटर आदिवासी हैं। इसके साथ ही ईचागढ़, जुगसलाई समेत कई सीटों पर कुर्मी वोटर्स की संख्या 15 से 18 फीसदी के करीब है। यह संख्या भी निर्णायक होती है।