पूर्व राष्ट्रपति बोले- दुनिया मोदी से प्यार करती है; 2 राज्यों में काउंटिंग जारी
डोनाल्ड ट्रम्प फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्हें 50 राज्यों की 538 में से 295 सीटें मिली हैं, बहुमत के लिए 270 सीटें जरूरी होती हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की कैंडिडेट कमला हैरिस कड़ी टक्कर देने के बावजूद 226 सीटें ही जीत पाईं। अमेरिकी चुनाव में भले ही ट्रम्प को बहुमत मिल गया है लेकिन अभी भी सभी राज्यों के नतीजे नहीं आ पाए हैं। एरिजोना और नेवाडा में अभी भी काउंटिंग जारी है। इन दोनों राज्यों में कुल 17 इलेक्टोरल वोट्स हैं।
ट्रम्प की जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प को फोन कर दूसरे कार्यकाल के लिए व्हाइट हाउस में वापसी की बधाई दी है। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों नेताओं ने दुनिया की शांति के लिए साथ मिलकर काम करने की बात कही। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें एक शानदार आदमी कहा। ट्रम्प ने कहा कि वह भारत को सच्चा दोस्त मानते हैं। पूरी दुनिया मोदी से प्यार करती है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी पहले उन विश्व नेताओं में से हैं जिनसे उन्होंने जीत के बाद बात की है।
ट्रम्प की ऐतिहासिक जीत, 4 साल के गैप के बाद बने राष्ट्रपति ट्रम्प 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे और 2020 में जो बाइडेन से हार गए थे। ताजा नतीजों के बाद ट्रम्प दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहले राजनेता हैं, जो 4 साल के गैप के बाद दोबारा राष्ट्रपति बनेंगे। अमेरिकी इतिहास में ट्रम्प पहले लीडर हैं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में दो बार महिला कैंडिडेट को हराया है। दिलचस्प फैक्ट यह भी है कि 2016 और 2024 के अलावा कभी भी कोई महिला राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ी है। दोनों ही बार ट्रम्प ही चुनाव जीते हैं।
ऊपरी और ताकतवर सदन सीनेट में ट्रम्प की पार्टी को बहुमत अमेरिका में राष्ट्रपति पद के साथ संसद के दोनों सदन सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के भी चुनाव हुए हैं। सीनेट संसद का ऊपरी सदन है। इसकी 100 सीटों में हर राज्य के लिए 2 सीटों की हिस्सेदारी है। इसकी एक तिहाई सीटों पर हर 2 साल में चुनाव होते हैं। इस बार सीनेट की 34 सीटों पर चुनाव हुए। ताजा नतीजों के साथ रिपब्लिकन पार्टी ने 54 सीटें हासिल कर ली हैं, जो बहुमत के बराबर हैं। इससे पहले उसके पास 49 सीटें थीं।
निचले सदन में भी बहुमत के करीब पहुंच रही ट्रम्प की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत के करीब है। इसकी 435 सीटों के लिए हर 2 साल में चुनाव होते हैं। बहुमत के लिए 218 सीटें जरूरी होती हैं। रिपब्लिकन पार्टी 204 और डेमोक्रेटिक पार्टी 189 सीटें हासिल कर चुकी है।
हालांकि ऊपरी सदन यानी सीनेट ताकतवर है, लेकिन सरकार चलाने में दोनों सदनों की एक जैसी भूमिका है। संसद के दोनों सदनों में से किसी एक में भी बहुमत से किसी विधेयक को पारित कराया जा सकता है।
लोग सीधे राष्ट्रपति को वोट नहीं देते, इलेक्टर चुने जाते हैं
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सीधा उम्मीदवारों को वोट नहीं किया जाता है। उनकी जगह इलेक्टर्स चुने जाते हैं, जो राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर चुनाव लड़ते हैं। हर राज्य में इलेक्टर्स की संख्या तय होती है। आमतौर पर जिस राज्य में राष्ट्रपति प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उस राज्य की सारी सीटें उसी को मिल जाती हैं। इसे एक उदाहरण से समझें। जैसे पेन्सिलवेनिया में 19 इलेक्टोरल वोट्स हैं। अगर रिपब्लिकन पार्टी ने 9 वोट्स और डेमोक्रेटिक पार्टी ने 8 वोट्स हासिल किए तो ज्यादा वोट्स लाने की वजह से सभी 19 इलेक्टोरल वोट्स रिपब्लिकन पार्टी के हो जाएंगे। अमेरिका के 48 राज्यों में यही चलन है। नेब्रास्का और मेन राज्य में अलग व्यवस्था है। इन राज्यों में जो पार्टी जितने इलेक्टोरल वोट्स हासिल करते हैं, उन्हें उतनी ही सीटें मिलती हैं। जैसे कि इस चुनाव में मेन राज्य से ट्रम्प को 1 और कमला हैरिस को 1 इलेक्टोरल वोट यानी 1-1 सीट हासिल हुई है।