डूंगरपुर। डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा मुख्यालय में एकलव्य भील सेवा संस्थान व आदिवासी समाज द्वारा शनिवार को महर्षि वाल्मीकि ऋषि जयंती श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। बेणेश्वर धाम के पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज के सानिध्य में वाल्मीकि मंदिर में महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा पर फूलमालाएं अर्पित कीं। पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज के सानिध्य में वाल्मीकि मंदिर से भव्य शोभा यात्रा निकली। शोभा यात्रा में युवा धर्म ध्वजाएं लेकर आगे चल रहे थे जिनके पीछे नन्ही बालिकाएं मंगल कलश धारण किए हुए कदम से कदम मिलकर आगे बढ रही थी। इस दौरान शोभायात्रा में वाल्मिकी ऋषि की मनोरम झांकियां सजाई और बैंड बाजे के साथ शोभा यात्रा नगर के विभिन्न मार्गो से होते हुए वाल्मिक ऋषि मंदिर लोहारिया तालाब पहुंची। जहा पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज के सानिध्य में धर्मसभा हुई।
धर्मसभा में पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा रचित श्री रामायण ग्रंथ की रचना से दिया सद्मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया। हम सभी को उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान वाल्मीकि जी संस्कृत भाषा के पितामाह थे, जिन्होंने बुराई पर नेकी की जीत का संदेश अपने महान ग्रंथ श्री रामायण के जरिए दिया। उन्होने समाज में से भेदभाव को दूर करने के लिए भी प्रेरित किया और सभी को आपस में मिलजुल कर रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें समाज की भलाई के काम करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि संपूर्ण महापुरुषों की जयंती पर उन्हें याद करने मात्र से ही समाज के भले के काम नहीं हो जाते बल्कि उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर पूरी निष्ठा व इमानदारी से चलना होगा।
उन्होंने कहा कि संत-महापुरुष समाज को नई दिशा व प्रेरणा देना का मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने आपसी भाईचारे के साथ सद्भावना व प्यार को मजबूत करने की अपील की, ताकि मजबूत समाज का विकास हो सके। धर्म सभा में 85 प्रतिभावान प्रतिभाओं को पुरस्कृत भी किया गया। जिसके बाद वाल्मीकि मंदिर में भजन कीर्तन, आरती व महाप्रसाद का आयोजन हुआ।
इस मौके पर आदिवासी समाज के अध्यक्ष मोहनलाल भगोरा, पूर्व अध्यक्ष नानुलाल मकवाणा व मंदिर कमेटी के अध्यक्ष गटूलाल अहारी, निशांत डेण्डोर सहित नगर के आदिवासी समाज के 12 फलो से सैकड़ों समाजजन मौजूद रहे।