इस रोग में शरीर के कई हिस्सों में फैल जाते हैं, जानलेवा कीड़े।
कीड़ों के कारण होने वाले संक्रमण से मरीज का बचना था ना मुमकिन।
उदयपुर- हाइडैटिड रोग जिसमें शरीर के किसी अंग में सिस्ट बनने लग जाती है, जिसमें परजीवी के अंडे (लार्वा) होते हैं। इसी रोग से पीड़ित एक व्यक्ति जो तेज बुखार, पेट में दर्द और शरीर में तेज दर्द की शिकायत के साथ पारस हेल्थ, उदयपुर पहुंचा। जांच के बाद पता चला कि उसके पेट व शरीर के अन्य हिस्सों में कीड़ों के कारण संक्रमण फैल चुका है। इसके बाद इस गंभीर स्थिति से बहुत ही सावधानी पूर्वक निपटते हुए पारस हेल्थ, उदयपुर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जटिल सर्जरी के माध्यम से मरीज को बचाया।
डॉ. अभिषेक व्यास, कंसल्टेंट, लेप्रोस्कोपिक जनरल एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, पारस हेल्थ, उदयपुर ने बताया कि मरीज अत्यंत गंभीर स्थिति में डॉ. अभय जैन के पास आया था। उनका सिटी स्कैन किया गया जिस के बाद यह पता चला कि उसमें एक फटी हुई सिस्ट है और रक्त से शरीर के अन्य हिस्सों में भी संक्रमण फैल रहा है। यह एक खतरनाक स्थिति थी। सिस्ट फटने के कारण गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया हो सकती थी, जिससे मरीज की मृत्यु का खतरा था। मरीज की हालत गंभीर थी। हमने मरीज की तत्काल सर्जरी की क्योंकि कीड़े पेट के हिस्से में बड़े पैमाने पर फैल गए थे, जिसका संक्रमण पूरे शरीर के हिस्से तक फैल चुका था। मरीज के शरीर के सभी संक्रमणों को दूर करने में सर्जरी में लगभग 4-5 घंटे लगे। 4 घंटे की सर्जरी के बाद मरीज को स्थिर स्थिति में लाया गया।
निदान प्रक्रिया के बाद डॉ. अभिषेक व्यास ने कीड़ों के कारण होने वाले संक्रमण के बारे में विवरण की जांच की, कृमि (पेट में कीड़ा होना कृमि रोग कहलाता है।) का नाम इचिनोकोकस ग्रैनुलोसस था। यह कीड़े भेड़ और कुत्ते के मल से मनुष्य में फैलता है। जो लोग खेतों में काम करते हैं यह उनमें आसानी से फैल सकता है। यह वे कीड़े हैं जो आमतौर पर सलाद खाने से भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, मुख्य रूप से यह मल के माध्यम से निकलते हैं लेकिन कभी-कभी वे लिवर में चले जाते हैं जो सबसे आम है और फेफड़े, मस्तिष्क, मांसपेशियों जैसे अन्य अंगों में भी प्रवेश कर जाते हैं। जिससे गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
इलाज के बाद मरीज ने पारस हेल्थ उदयपुर, डॉ. अभिषेक व्यास और डॉ. अभय जैन का धन्यवाद देते हुए कहा कि मैंने सही समय पर पारस हेल्थ, उदयपुर आकर डॉक्टर से परामर्श लिया जिसके कारण मुझे सही समय पर उचित चिकित्सा एवं इलाज मिला और मैं बच पाया।