हाईकोर्ट ने कहा- किसी भी तरह से तलाश करें; पुलिस बोली- बेस्ट एफर्ट कर रहे
जयपुर के नाहरगढ़ में चरण मंदिर घूमने गए दो भाइयों में से एक राहुल पाराशर (21) का 20 दिन बाद भी कुछ पता नहीं चला है। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को पुलिस ने अपनी प्रोग्रेस (प्रगति) रिपोर्ट पेश की। पुलिस ने अपने जवाब में कहा- हम राहुल का खोजने में बेस्ट एफर्ट (पूरी कोशिश) कर रहे हैं। हर तरीके से हमने सर्च अभियान चला रखा है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की अदालत ने प्रोग्रेस रिपोर्ट और जवाब के बाद कहा- हम पुलिस के प्रयासों से संतुष्ट हैं। कोर्ट ने कहा- युवक को किसी भी तरह से तलाश करें। कोर्ट ने पुलिस को राहुल को ढूंढने के लिए दो सप्ताह का समय और दिया है।
पिता ने लगाई थी याचिका
दरअसल, शास्त्रीनगर थाना इलाके की परबतिया कॉलोनी निवासी राहुल पाराशर (21) और उसका भाई आशीष (19) एक सितंबर को सुबह 6 बजे नाहरगढ़ की पहाड़ी पर चरण मंदिर जाने की कह कर निकले थे। इसके 5 घंटे बाद सुबह 11 बजे पिता के फोन पर आशीष ने कॉल कर बताया था कि चरण मंदिर से लौटते वक्त वे रास्ता भटक गए हैं। दोपहर 1 बजे तक उनके मोबाइल फोन पर रिंग जाती रही, लेकिन फोन उठाया नहीं गया। इसके बाद मोबाइल बंद हो गया था। तब परिजन शास्त्री नगर थाने पहुंचे।
राहुल के पिता की ओर से वकील गिरिराज प्रसाद शर्मा ने कहा- हमें शक है कि राहुल के छोटे भाई आशीष की तरह ही उसकी हत्या कर दी गई है या उसे किसी ने कैद कर रखा है। पुलिस को इस दिशा में भी जांच करनी चाहिए। उन्होंने कॉल डिटेल के आधार पर भी जांच करने का सुझाव दिया। सुनवाई के दौरान डीसीपी नॉर्थ राशि डोगरा और एडिशनल डीसीपी नॉर्थ बजरंग सिंह अदालत में मौजूद रहे।
पिता ने कहा था- बेटा किसी की कैद में है
याचिका में पिता ने कहा था- मेरा बेटा राहुल किसी की कैद में है। उसकी जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं कि उसकी तलाश करके उसे कोर्ट के सामने पेश किया जाए। याचिका में डीजीपी, गृह सचिव, एडीजी, मानव तस्करी विरोधी, पुलिस उपायुक्त जयपुर शहर उत्तर और शास्त्रीनगर एसएचओ को पक्षकार बनाया गया था। 9 सितंबर को जस्टिस इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ में इसकी सुनवाई हुई थी।
याचिका में पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप
याचिका में कहा गया- मामले में पुलिस ने भी लापरवाही बरती है। राहुल और आशीष से दोपहर बाद संपर्क नहीं हो पा रहा था। शास्त्री नगर थाने में इसकी सूचना दी गई, लेकिन पुलिस ने दोनों को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया। लोगों के थाने में एकत्रित होने के बाद अगले दिन सुबह से तलाश शुरू की गई। इस बीच तीन थानों की पुलिस क्षेत्राधिकार को लेकर उलझती रही। अगर समय पर तलाश शुरू की जाती तो संभवत: अनहोनी को टाला जा सकता था।