गिरफ्तारी उनके कर्मों का नतीजा, शराब पर नीति बनाने से मैंने रोका था
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली के सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी को उनके कर्मों का नतीजा बताया। शुक्रवार को अन्ना ने कहा कि मुझे केजरीवाल के हाल पर बिल्कुल भी दुख नहीं होता। मैंने उन्हें शराब पर नीति बनाने से रोका था, लेकिन वो नहीं माने।
अन्ना ने कहा कि केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद नई शराब नीति को लेकर मैंने उन्हें दो बार चिट्ठी लिखी थी। मुझे दुख होता है कि उन्होंने मेरी बात नहीं मानी और अब वो इसमें गिरफ्तार हो गए। जब केजरीवाल और मनीष सिसोदिया नए-नए हमारे साथ आए थे, तब मैंने कहा था कि हमेशा देश की भलाई के लिए काम करना। लेकिन उन्होंने इस बात को ध्यान में नहीं रखा।
वहीं, अन्ना के बयान पर AAP विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि जब हिमंत बिस्वा सरमा जैसे लोग भ्रष्टाचारी भाजपा में शामिल होकर सीएम बन जाते हैं तो कोई आवाज नहीं उठाता। जब अजित पवार जैसे लोग BJP के साथ हो जाते हैं, तो ये बेहद सम्मानित व्यक्ति (अन्ना हजारे) कुछ नहीं कहते। यह व्यवहार दर्दनाक और दुखद है।
अन्ना ने आगे लिखा था कि लोग सत्ता के लिए पैसे और पैसे के लिए सत्ता के घेरे में फंस गए हैं। यह उस पार्टी के अनुरूप नहीं है, जो एक बड़े आंदोलन से उभरी है। आपने अपनी पुस्तक स्वराज में बड़ी-बड़ी बातें लिखी थीं, लेकिन आपके आचरण पर उसका असर नहीं दिख रहा है। आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको पत्र लिख रहा हूं।
भ्रष्टाचार को लेकर 2011 में अन्ना ने आंदोलन किया था
2011 में अन्ना भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अनशन पर थे। उनकी मांग थी कि सरकार लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाए। सरकार ने उनकी मांग मानते हुए अनशन के पांचवे दिन यानी 9 अप्रैल 2011 को इसके लिए अधिसूचना जारी की, जिसके बाद अन्ना ने एक छोटी बच्ची के हाथों नींबू पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा।
अन्ना के आंदोलन ने केजरीवाल को नेता बना दिया
अन्ना के आंदोलन को किरण बेदी, कुमार विश्वास, अनुपम खेर, जनरल वीके सिंह, योगेंद्र यादव जैसी हस्तियों ने समर्थन दिया। अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, शाजिया इल्मी जैसे कई लोग इस आंदोलन के बाद हीरो बन गए। अन्ना अपने आंदोलन को राजनीतिक लोगों से दूर रखते थे। अन्ना के साथ इस आंदोलन में शामिल कई लोग इसी आंदोलन से नेता बन गए। इन लोगों ने मिलकर आम आदमी पार्टी बनाई। केजरीवाल इसके संयोजक बने।
लेकिन ये पार्टी जल्द ही बिखर गई। इससे जुड़े कई लोग दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए तो कुछ ने राजनीति से किनारा कर लिया, लेकिन पूरे आंदोलन से सबसे ज्यादा फायदा केजरीवाल को हुआ। इस आंदोलन से नेता बने केजरीवाल तीन बार से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।