विशेषज्ञों का कहना- मकसद डराना, नहीं साजिश या शरारत
‘मेरा बेटा दिल्ली के मयूर विहार के स्कूल में पढ़ता है। सुबह करीब पौने 10 बजे स्कूल से मैसेज आया। लिखा था कि बच्चे को स्कूल से ले लें। स्कूल में बम है। ये नहीं बताया कि किस स्कूल में बम है। मैं तो घबरा गया। ऑफिस जा रहा था, लेकिन फिर स्कूल की तरफ भागा।’ ‘बेटे के स्कूल के आसपास और भी स्कूल हैं। वहां इतना जाम लगा था कि स्कूल से दूर गाड़ी खड़ी करनी पड़ी। स्कूल पहुंचा तो वहां अफरातफरी मची थी। पेरेंट्स शोर मचा रहे थे। मैंने बेटे के बारे में पूछा तो पता चला कि वो स्कूल की बस से घर चला गया है। तब जाकर चैन मिला।’
ये मोहम्मद जावेद हैं। दिल्ली के मयूर विहार में रहते हैं। मोहम्मद जावेद जैसे हजारों पेरेंट्स के लिए 1 मई का दिन मुश्किल से बीता। दिल्ली-NCR के करीब 100 स्कूलों को बम रखे होने की धमकी मिली थी। वो भी एक ही ईमेल ID से।
वक्त से मैसेज मिल गया, इसलिए ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं आए। जैसे-जैसे स्कूलों में ईमेल चेक किए गए, वैसे-वैसे पुलिस के पास शिकायतें बढ़ती गईं। नोएडा सेक्टर-30 के DPS स्कूल से करीब 8 बजे पुलिस को सूचना दी गई। सुबह 9 बजने तक दिल्ली और नोएडा के 50 से ज्यादा स्कूलों में बम की धमकी वाली खबर आ चुकी थी। दिल्ली और नोएडा की पुलिस अपने एरिया के स्कूलों में जांच के लिए पहुंच गई। स्कूलों में चेकिंग की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। हालांकि, गृह मंत्रालय से लेकर सभी जांच एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है।
धमकी भरे ईमेल भेजने के पीछे क्या सोच हो सकती है और इसे कितना सीरियसली लिया जाए, दैनिक भास्कर ने इस पर साइबर एक्सपर्ट्स से बात की। इसमें एक बात साफ है कि भले ही ये धमकी भरा ईमेल फर्जी निकला, लेकिन ये मामला बहुत सेंसिटिव है। ईमेल करने वाला साइबर वर्ल्ड का एक्सपर्ट है।