चुनाव अधिकारी से पूछा- बैलट पर निशान क्यों लगाया था; कहा- उन पर अलग केस चले
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव दोबारा कराए जाने की जगह नई व्यवस्था दी। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा बैलट पेपर्स की गिनती कर चंडीगढ़ मेयर का चुनाव किया जाए। इसमें उन बैलट पेपर्स को शामिल ना किया जाए, जिन पर रिटर्निंग अफसर ने निशान लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर्स कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि मंगलवार को कोर्ट में बैलट पेपर्स और वीडियो लाने के लिए एक ज्यूडिशियल अफसर की नियुक्ति कीजिए।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिए कि ज्यूडिशियल अफसर और रिकॉर्ड्स की सुरक्षा के लिए व्यवस्था कीजिए। अदालत मंगलवार को 2 बजे चुनाव का पूरा वीडियो और बैलट पेपर्स की जांच करेगी।
अदालत ने रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह से पूछा- आपने बैलट पेपर्स पर X का निशान क्यों लगाया। इस पर मसीह ने कहा कि उन्होंने 8 खराब बैलट पर निशान लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनिल मसीह पर अलग केस चलना चाहिए।
चंडीगढ़ मेयर के लिए 30 जनवरी को वोटिंग हुई थी। यहां पहली पर I.N.D.I. गठबंधन के तहत AAP-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा। जिसमें एक सांसद और 35 पार्षदों ने वोटिंग की। वोटिंग के बाद चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने रिजल्ट की घोषणा की।
जिसमें भाजपा के कैंडिडेट मनोज सोनकर को 16 वोट मिले। जिनमें 14 पार्षद, चंडीगढ़ से BJP सांसद किरण खेर और अकाली दल के पार्षद के वोट शामिल थे। AAP के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षदों ने वोटिंग की थी, मगर उनके कैंडिडेट कुलदीप टीटा को 12 वोट मिले।
चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने गठबंधन कैंडिडेट के 8 वोट इनवैलिड बताए थे। AAP-कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मसीह ने इन पर निशान लगाकर इन्हें इनवैलिड किया।
सुप्रीम कोर्ट में 5 फरवरी को सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने वह वीडियो भी देखा था, जिसमें चुनाव अधिकारी अनिल मसीह बैलट पेपर पर क्रॉस लगाते दिख रहे हैं।
इसके बाद CJI ने कहा था- वीडियो से साफ पता चल रहा है कि चुनाव अधिकारी ने बैलट पेपरों को डिफेस्ड (खराब) किया। क्या ऐसे ही चुनाव कराए जाते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है। लोकतंत्र की हत्या है। इस अफसर पर केस होना चाहिए।
चुनाव दोबारा हुए तो बदल जाएंगे समीकरण
AAP के 3 पार्षदों के भाजपा में आने के बाद नगर निगम में पूरी तरह समीकरण बदल जाएंगे। एक सांसद को मिलाकर पहले से ही BJP के पास 15 वोट हैं। 3 AAP पार्षदों के BJP जॉइन करने से यह आंकड़ा 18 हो गया। एक अकाली दल का वोट मिला कर ये संख्या 19 हो जाएगी। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट से मेयर चुनाव दोबारा करवाने को लेकर फैसला आता है तो भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ अपना मेयर बना लेगी।
नए पार्षदों में से चुना जा सकता है मेयर
चंडीगढ़ मेयर की कुर्सी अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। इसलिए BJP की तैयारी है कि सोनकर के इस्तीफे के बाद इस कुर्सी का दावेदार उन 3 नामों में से एक को बनाया जाए, जो AAP छोड़कर BJP में शामिल हुए हैं। इनमें 2 महिला पार्षदों में से एक को मेयर की कुर्सी मिल सकती है।