लेकसिटी में थिरके ओडिसी नर्तक
उदयपुर, 4 मई। दक्षिण राजस्थान में कला-साहित्य और संस्कृति संरक्षण-संवर्धन को समर्पित कश्ती फाऊंडेशन के तत्वावधान में शनिवार को विद्या भवन सभागार में आयोजित सांस्कृतिक संध्या ‘नृत्याकृति’ में शास्त्रीय प्रस्तुतियों ने समा बांध दिया। इस सांस्कृतिक संध्या में कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया ने अपने संबोधन में लेकसिटी की कला प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने की आवश्यकता प्रतिपादित की और ‘नृत्याकृति’ को कश्ती का उदात्त प्रयास बताया।
खचाखच भरे विद्याभवन ऑडिटोरियम में आरोही मुर्डिया के स्वागत उद्बोधन से प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम में नृत्योर्मी स्कूल के गुरु कृष्णेंदु साहा ने अपनी मनोहारी नृत्य प्रस्तुति से लोगों को आकर्षित किया। कृष्णेन्दु ने भारत के पूर्वी तटीय राज्य ओडिशा के हिंदू मंदिरों से शुरू हुए ओडिसी नृत्य में उत्कृष्ट शारीरिक गतिविधियों, भावों, प्रभावशाली इशारों और सांकेतिक भाषाओं के साथ पौराणिक और धार्मिक कहानियों, भक्ति कविताओं और आध्यात्मिक विचारों का एक उदाहरणात्मक उपाख्यान प्रस्तुत कर सम्मोहित कर दिया। कृष्ण लीलाओं पर आधारित उनकी भावमयी प्रस्तुति के साथ दशावतार पर मौजूद दर्शक देर तक करतल ध्वनि करते रहे।
इस दौरान कृष्णेन्दु के निर्देशन में नृत्योर्मी स्कूल ऑफ़ ओडिसी के विद्यार्थियों ने बट्टू नृत्य, कृष्ण-यशोदा संवाद पर आधारित जगदोधारना, शिव तांडव स्त्रोत आदि की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में ‘नृत्याकृति’ आयोजक कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया ने समस्त कलाकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में शहरवासी, कला एवं संस्कृति प्रेमी मौजूद रहे। कार्यक्रम में कपिल पालीवाल ने कश्ती फाउंडेशन का परिचय दिया। संचालन प्रोफेसर कविता पारुलकर और राशि माथुर ने किया जबकि आभार प्रदर्शन सुनील लड्ढा ने किया।
नन्हीं प्रतिभाओं ने प्रस्तुत किया नृत्यमय मंगलाचरण:
कार्यक्रम के आरंभ में नृत्योर्मी स्कूल के नन्हें कलाकारों ने ओडिसी नृत्य की वेशभूषा में 15 से अधिक छात्राओं ने मंगलाचरण के रूप में ‘श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन…’ पर प्रस्तुति दी तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा।