मैं धर्मगुरु नहीं, धर्म का सिपाही हूं; भेदभाव मिटेगा, तभी देश तरक्की करेगा
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- धर्म से राजनीति चलती है, लेकिन राजनीति से धर्म नहीं चलता है। मैं इस बात के भी खिलाफ हूं कि धर्म का उपयोग राजनीतिक वोट बैंक के लिए किया जाए। ये सबसे बड़ा अपराध है। धर्म स्वतंत्र है। धारणा का विषय है। प्राचीन परंपराओं को जीवंत रखने का विषय है। कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री कहा कि वे धर्मगुरु नहीं बल्कि धर्म के सिपाही हैं। धीरेंद्र शास्त्री शुक्रवार सुबह राजसमंद के नाथद्वारा पहुंचे थे। यहां उन्होंने श्रीनाथजी मंदिर में मंगला झांकी के दर्शन किए।
‘वक्फ बोर्ड खत्म किया जाए’ इससे पहले गुरुवार को भीलवाड़ा में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि भारत में सीमा (सीमा हैदर, पाक से भारत आई) और हसीना (शेख हसीना, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री) दोनों ही सुरक्षित हैं। यह अद्भुत देश है। यहां आने वाले दूसरे धर्म के लोगों को भी हम सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड को पूरी तरह खत्म किया जाए या फिर सनातन बोर्ड का भी गठन किया जाए। एक देश में दो तरह के कानून नहीं होने चाहिए। वक्फ बोर्ड को बंद कर देना चाहिए या फिर हिंदुओं के लिए भी सनातन बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए।
‘भेदभाव मिटेगा, तभी देश प्रगति करेगा’ दर्शन के बाद मंदिर की परंपरा के अनुसार उपरना और रजाई ओढ़ाकर तथा प्रसाद भेंट कर धीरेंद्र शास्त्री का स्वागत किया गया। इस दौरान उनके साथ कथावाचक इंद्रेश महाराज भी थे। मीडिया से बातचीत में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि देश अन्य देशों के मुकाबले में और प्रगति करे। वो तभी होगा जब एक होंगे, भेदभाव मिटेगा, छुआछूत, जात-पात मिटेगा। तभी यहां नए विचार, नए संकल्प संगठित होंगे। नए विचारों के साथ नए कार्य प्रारंभ होंगे। निश्चित रूप से आर्थिक रूप से, राजनीतिक रूप से, धार्मिक रूप से भारत समृद्ध देश बनेगा, विश्व गुरु पुनः स्थापित होगा।