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चारभुजा नाथ मंदिर में फागोत्सव सम्पन्न सेवंत्री में आज


15 दिन तक हुई गुलाल सेवा; गेर नृत्य का उठाया आनंद

राजसमंद में मेवाड़ के प्रसिद्ध धाम गढबोर स्थित चारभुजा नाथ मंदिर में रविवार को 15 दिवसीय फागोत्सव का समापन हुआ, जबकि सेवंत्री स्थित रूप नारायण जी मंदिर में फागोत्सव का सोमवार को समापन होगा।

होली के एक दिन बाद शुरू होता है फागोत्सव
हर साल होली के एक दिन बाद से गढबोर में चारभुजा नाथ मंदिर और सेवंत्री में रूप नारायण जी मंदिर में फागोत्सव की शुरुआत होती है और 15 दिनों तक फागोत्सव का आनन्द लिया जाता है। चारभुजानाथ मंदिर में चतुर्दशी पर फागोत्सव का समापन होता है, जबकि रूप नारायण जी मंदिर में फागोत्सव अमावस्या तक चलता। श्रद्धा और भक्तिभाव से फागोत्सव का आनंद लेने के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित देश प्रदेश से श्रद्धालु यहां आते और ठाकुर जी के साथ फाग का भरपूर आनंद लेते है।

चारभुजा नाथ मंदिर में फागोत्सव के तहत प्रतिदिन चारभुजानाथ प्रभु को पुजारियों द्वारा विशेष श्रृंगार धराया जाता हैं। दोपहर के समय निज मंदिर से चारभुजानाथ के बाल स्वरूप ठाकुरजी को मंदिर से बाहर पधराया जाता है। इस ठाकुरजी के मंदिर से बाहर आने तक श्रद्धालुओं में भारी उत्साह रहता है।

मंदिर के मुख्य द्वार के पास ही सोने;-चांदी की पालकी में ठाकुर जी को विराजित कर विशेष श्रृंगार कर भोग धराया जाता है और श्रद्धालुओं के लिए पुनः दर्शन खोले जाते है। इस दौरान पुजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा ठाकुर जी को गुलाल अबीर की सेवा पूरी की जाती है और जमकर गुलाल उड़ाई जाती है। दोपहर करीब 3 बजे से शाम 6 बजे तक यह क्रम चलता है। उसके बाद ठाकुर जी को पुनः मंदिर में पधराते है।

फागोत्सव का यही क्रम सेवंत्री में रूपनारायणजी मंदिर में भी रहता है। यहां पर भी देश-प्रदेश से श्रद्धालु पहुंचते है और फागोत्सव का आनंद लेते है। अरावली की वादियों के बीच स्थित रूप नारायण जी मंदिर में वर्षभर में 2 बड़े उत्सव पहला जलझूलनी एकादशी और दूसरा फागोत्सव के होते है। पांडव कालिन मंदिर में फागोत्सव के दौरान सभी पुजारी 15 दिनों तक उत्सव का आनंद लेते है। दोपहर को गुलाल अबीर की सेवा के दौरान ठाकुरजी के छोटे स्वरूप को मंदिर के चौक में सोने की पालकी में विराजित किया जाता है और करीब 200 से अधिक पुजारी परिवार के सदस्य हर जस गान करके ठाकुर जी को फाग के पद सुनाने है।

इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा भी ठाकुर जी को भोग लगाने का क्रम जारी रहता है। वही रात्रि के समय पुजारी परिवार सजधज कर मंदिर के चौक में पहुंचते है और गैर नृत्य करते है, फागोत्सव का आनंद लेते है।


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