दही जमाने के लिए जावणियां, हांडी सहित कई मिट्टी के बर्तन मिले, गर्मी की मानते शुरूआत
झीलों की नगरी उदयपुर में आज आंवली एकादशी (आमलकी) पर मेला भरता है। मेले में बाजार मटकियों से सजे होते है। मटकियां और मिट्टी के बर्तन खरीदने वालों की भी भीड़ रहती है। मटकी के खरीददार भी इस खास दिन का इंतजार करते है।
ये मेला आयड़ इलाके में गंगू कुंछ पर भरता है। आयड़ डिस्पेंसरी के पास से लेकर गंगू कुंड तक मटकियों और मिट्टी के बर्तन की दुकानें लगती हैं। शहर के अलावा आस-पास के इलाकों से भी लोग मटकियां खरीदने आते है। पुराने लोग बताते है कि मेले से गर्मी के सीजन की शुरूआत मानी जाती है।
उदयपुर की स्थापना से पहले से भरा जा रहा मेला
इतिहासकारों की माने तो यह मेला उदयपुर की स्थापना से पहले से भरा जा रहा है। मेले में बेदला, गोगुंदा, महाराज की खेड़ी आदि गांवों के कुंभकार मटके बनाकर बेचने आते। अब संख्या शहर के कुंभकारों ज्यादा आते हैं।
महिलाएं व्रत भी करती है
आंवली एकादशी पर महिलाएं व्रत रखती है और आंवले के वृक्ष की पूजा करती है। बाद में फलाहार लेती है। इसी दिन परम्परानुसार मटकियां खरीदी जाती हैं। मेले में घरेलू सामान व सौंदर्य प्रसाधनों की दुकानों के अलावा खाने-पीने की स्टॉल्स भी लगती है।