पूर्व सांसद सुरेश पचौरी, गजेंद्र राजूखेड़ी समेत तीन पूर्व MLA ने छोड़ी कांग्रेस
कैलाश विजयवर्गीय बोले- साले तेरी गाली सुनी और तेरे को लेना पड़ रहा
इंदौर-1 के पूर्व विधायक संजय शुक्ला को भाजपा का दुपट्टा पहनाते वक्त मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मजाकिया अंदाज में कहा- साले, तेरी गाली सुनी और तेरे को लेना पड़ रहा है। यह सुनकर संजय जोर से हंस दिए। साथ में कैलाश ने भी ठहाका लगाया। उनके इस मजाक का वीडियो भी सामने आया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने आज भाजपा जॉइन कर ली। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, पिछली विधानसभा में इंदौर से कांग्रेस के विधायक रहे संजय शुक्ला, पूर्व विधायक विशाल पटेल, अर्जुन पलिया, सतपाल पलिया और भोपाल जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की मध्यप्रदेश से विदाई के तीसरे दिन कांग्रेस को ये बड़ा झटका माना जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने सीएम डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के सामने प्रदेश कार्यालय में भाजपा जॉइन की। सूत्रों की मानें तो सुरेश पचौरी की भाजपा नेताओं से बातचीत चल रही थी।
सुरेश पचौरी के भाजपा जॉइन करने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा ‘इतने सीनियर मोस्ट व्यक्ति ने निर्णय लिया है तो हम नहीं मानते कि उन्हें समझाने की आवश्यकता है। भगवान उनका भला करें, भार उतरा’।
पचौरी बोले- कांग्रेस की जात की बात से जातीय संघर्ष बढ़ रहा
सुरेश पचौरी ने कहा, कैलाश विजयवर्गीय से हमें मंत्र सीखना है कि चुनाव लड़ें तो जीता कैसे जाता है। मेरा ध्येय समाज सेवा और राष्ट्र सेवा का था। कांग्रेस में एक नारा लगा था, न जात का न पात का, लेकिन कांग्रेस में ये नारा दरकिनार कर दिया गया है। आज जाति की बात हो रही है। इससे जातीय संघर्ष बढ़ रहा है। पिछले दिनों में जो राजनीतिक और धार्मिक निर्णय हो रहे हैं, वो दुखी करने वाले हो रहे हैं।
कहा- राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराना गलत
पचौरी ने कहा, भगवान श्रीराम जी की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन रहा तो इसके निमंत्रण पत्र को अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर ठुकरा दिया गया। मुझे आघात पहुंचा। मैं अयोध्या में राम मंदिर बनने का पक्षधर शुरू से रहा हूं। निमंत्रण पत्र को अस्वीकार करने की आवश्यकता नहीं थी। मैं स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का दीक्षित शिष्य हूं।
पचौरी ने कहा, मुझे तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने भेजा कि शंकराचार्य जी से पूछकर आओ क्या करना है। तो उन्होंने कहा- अयोध्या में शिलान्यास हो और मंदिर बने। सितंबर 1999 में राजीव ने जवाब दिया कि तदानुसार काम हो। फिर हम तत्कालीन गृहमंत्री के साथ गए और वहां शिलान्यास किया। वहां अशोक सिंघल जी थे। फिर अब निमंत्रण पत्र अस्वीकार करने की आवश्यकता कहां से पड़ गई। राम मंदिर का ताला खुलना, शिलान्यास होना किस कार्यकाल में हुआ, बोला जा सकता था।