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जलझूलनी पर भगवान से मिलने आई गोमती नदी


पलासमा गांव में पदमनाथ मंदिर में झरने लगी दीवारें, भक्तों का सैलाब उमड़ा

उदयपुर जिले के सायरा क्षेत्र के पलासमा गांव स्थित भगवान पदमनाथ (विष्णु) मंदिर में रात 10.30 बजे गोमती का पानी आया। रात 1.30 बजे तक श्रद्धालुओं ने गोमती के दर्शन किए। पदमनाथ प्रगति युवक मंडल समिति के मांगीलाल पुजारी ने बताया कि शुक्रवार दोपहर से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। ब्राह्मणों का कलवाना से लेकर पलासमा तक और घणावल मार्ग पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सायरा थानाधिकारी प्रवीण सिंह के नेतृत्व व पुलिस जाब्ता तैनात रहा। 8 बजे बाद भंडारा आरंभ किया गया, जिसमें समिति से जुड़े स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं को भोजन करवाया।

जलझूलनी एकादशी की पूर्व रात्रि में मंदिर में आती है गोमती

पौराणिक पदमनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारें पत्थरों से बनी हुई है। दीवारों पर मार्बल के पत्थर जड़े हुए हैं, छत पर कांच जड़े हुए हैं। जलझूलनी एकादशी की पूर्व रात्रि में 10-10.30 बजे अचानक मंदिर के गुम्बद व गर्भगृह की दीवारों से पानी झरने लगता है। मंदिर में यह सबसे बड़ा चमत्कार है। श्रद्धालुओं का कहना है कि मां गोमती (नदी) स्वयं भगवान पदमनाथ से मिलने आती है। मान्यता है कि गोमती के 5 भाई हैं – भगवान जगदीश, भगवान जगन्नाथ, भगवान द्वारिकाधीश, चारभुजानाथ व भगवान पदमनाथ। कहा जाता है कि बाकी चार भाई गोमती से मिलने जाते हैं, लेकिन जलझूलनी एकादशी पर गोमती स्वयं भगवान पदमनाथ से मिलने आती है।

यहां ठीक होते है सर्पदंश व कुष्ठ रोग के पीड़ित

श्री पदमनाथ मंदिर चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष राम लाल सोनी ने बताया कि यहां वर्ष भर में कुष्ठ रोग से पीड़ित कई रोगी आते है, कई दिन रुकते है और ठीक होकर जाते हैं। इनके अलावा सर्पदंश से पीड़ित लोग भी बड़ी संख्या में आते है। ट्रस्ट द्वारा यहां भोजनशाला का निर्माण करवाया व 4 मंजिला हवेली बनाई गई, जिसमें 24 कमरें, हॉल व पार्किंग की व्यवस्था है। हर साल वैशाख सुदी 6 को ठाकुर जी को छप्पनभोग चढ़ाया जाता है व मंदिर पर नई ध्वजा चढ़ाई जाती है।

जाने मंदिर के बारे में

सम्वत् 1332 में मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था और 1339 में इसकी प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी। मंदिर परिसर में भगवान पदमनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा लक्ष्मीनारायण मंदिर, अंबा माता मंदिर, शिव-पार्वती मंदिर व हनुमान मंदिर भी हैं।

रात 10.30 बजे आई गोमती, श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

किशन सिंह निकोर ने बताया कि रात 10.30 बजे मां गोमती भगवान पदमनाथ से मिलने आई। जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग गया। नारियल चढ़ाते हुए श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे और मां गोमती व भगवान पदमनाथ के दर्शन किए। रात को एक-डेढ़ बजे मंदिर में आरती की जा गई। तब तक मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर की चारों दीवारों पर पानी आने पर माना जाता है कि सभी दिशाओं में अच्छी बारिश होगी, अगर किसी दिशा की दीवार पर पानी नहीं आता है तो उस दिशा में उस साल कम बारिश होती है। इस बार चारों दीवारों पर पानी आया।


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