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सेहतनामा- युवाओं में बढ़ रहा हाइपरटेंशन, 30 मिनट टहलना फायदेमंद


लाइफस्टाइल में बदलाव बड़ी वजह, मोटापे से बच्चे भी बन रहे इसका शिकार

ICICI लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के द्वारा वर्ष 2023 में एक स्टडी की गई। स्टडी के मुताबिक भारत में हर तीसरा व्यक्ति तनाव से जूझ रहा है। नतीजतन देश में ऐसी समस्या तेजी से पैर पसार रही है। यह बीमारी है हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन। इसका सीधा संबंध हमारे हार्ट से जुड़ा है। जो आगे चलकर ब्रेन के साथ पूरे शरीर को गंभीर रुप से प्रभावित करता है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक भारत में हाइपरटेंशन की वजह से 10.8% से अधिक मौतें होती हैं।

पहले बुजुर्गों में हाइपरटेंशन की बीमारी सबसे ज्यादा देखी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में युवा और बच्चे हाइपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं।

2018 में ग्रेट इंडिया बीपी सर्वे के द्वारा 18 से 39 साल के युवाओं पर एक सर्वे किया गया। सर्वे में पाया गया कि भारत में हर पांचवां युवा हाइपरटेंशन का शिकार है।

इसलिए आज सेहतनामा में हम बात करेंगे हाइपरटेंशन की। साथ ही जानेंगे कि-

-हाइपरटेंशन के क्या लक्षण हैं?

-युवा और बच्चे इसकी चपेट में क्यों आ रहे हैं?

-हाइपरटेंशन को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है?

क्यों बढ़ जाता ब्लड का प्रेशर

हमारा हार्ट धमनियों के माध्यम से ब्लड को पूरे शरीर में भेजता है। पंप करते समय धमनियों पर पड़ने वाले दबाव को ‘सिस्टोलिक’ (ऊपरी) कहा जाता है। पंप करने के बाद हार्ट जब रिलैक्स होता है, उसे डायस्टोलिक (निचला) कहा जाता है।

ब्लड प्रेशर का नॉर्मल लेवल 120/80(mm/hg) होता है। इससे ज्यादा ब्लड का दबाव बढ़ने को हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन माना जाता है।

हाइपरटेंशन की वजह से होती दिल, दिमाग से जुड़ी बीमारियां

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ज्यादातर लोगों में हाई ब्लड प्रेशर के कोई लक्षण महसूस नहीं होते। यानी हाई ब्लड प्रेशर होने पर हो सकता है कि आपको शुरूआत में किसी तरह के लक्षण न दिखें। कुछ लोगों को आमतौर पर चक्कर आना, सांस फूलना, उल्टी आना, सिर दर्द होने जैसे कुछ लक्षण दिखते हैं। अगर लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल न किया जाए तो स्ट्रोक या दिल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

  • सिस्टोलिक प्रेशर 120-129 mm Hg और डायस्टोलिक प्रेशर 80 mm Hg होने पर इसे खतरे का निशान माना जाता है।
  • ब्लड प्रेशर 130-139 mm Hg और लो ब्लड प्रेशर 80-89 mm Hg होने पर इसे फर्स्ट स्टेज हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है।
  • सिस्टोलिक प्रेशर 140 mm Hg और डायस्टोलिक प्रेशर 90 mm Hg या इससे ज्यादा होने पर यह दूसरे स्टेज में पहुंच जाता है।
  • सिस्टोलिक प्रेशर 180 mm Hg या ज्यादा और डायस्टोलिक प्रेशर 120 mm Hg या ज्यादा होने पर इसे ‘हाइपरटेंसिव क्राइसिस’ कहा जाता है। ऐसी स्थिति में अगर तुरंत इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है।

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