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इंदौर हाईकोर्ट में नामवापसी को लेकर सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित


अदालत ने कहा- ट्रेन निकलने तक टिकट कंफर्म नहीं है तो जनरल टिकट लेकर चलना पड़ेगा

इंदौर से कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम के ऐनवक्त पर नामांकन वापस लिए जाने के खिलाफ कांग्रेस की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिस सब्स्टीट्यूट कैंडिडेट को अधिकृत प्रत्याशी बनाने की मांग की गई है, वो तो अब दौड़ में ही नहीं है। उसका फॉर्म तो नामांकन की स्क्रूटनी के समय ही रिजेक्ट हो चुका है। अगर इस पर आपत्ति है तो अलग से चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने डिटेल फैसला जारी करने की बात कही है।

रेलवे के टिकट का भी दिया उदाहरण

याचिकाकर्ता के वकील के तर्कों पर हाईकोर्ट ने ट्रेन के ऑनलाइन टिकट बुकिंग सिस्टम का उदाहरण देते हुए समझाया। उन्होंने कहा कि यदि आप ऑनलाइन टिकट बुक कराते हैं। चार्ट बनने तक टिकट कंफर्म नहीं है तो टिकट कैंसिल हो जाता है। ऐसे में आपको जनरल टिकट लेकर चलना पड़ेगा। अन्यथा आप WT (विदआउट टिकट) कहे जाएंगे। इस बीच चुनाव आयोग की वकील ने कहा कि जो भी स्थिति हो आपको आखिर तक अपना टिकट जीवित रखना ही होता है। उन्होंने यह दलील सब्स्टीट्यूट कैंडिडेट मोतीसिंह पटेल के फॉर्म के रिजेक्ट होने के साथ उनकी दावेदारी खत्म होने के समर्थन में कही। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मेरा तो अधिकार ही अप्रूव्ड कैंडिंडेंट (अक्षय बम) की नामवापसी के बाद शुरू होता है। तब हाईकोर्ट ने कहा कि आपको इसके लिए चुनाव याचिका दायर करना चाहिए।

आखिरी दिन नाम वापस लिया और भाजपा जॉइन कर ली

दरअसल, सोमवार को नामांकन वापसी के आखिरी दिन इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम (46) ने मैदान छोड़ दिया। तुरंत भाजपा भी जॉइन कर ली है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के साथ अक्षय कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। वे भाजपा ही नहीं, बल्कि लोकल कांग्रेस की तरफ से भी प्रेशर का शिकार हो रहे थे। इसी कारण उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। अक्षय के खिलाफ पूर्व विधायक संजय शुक्ला की ही तरह BJP नेता प्रेशर गेम खेल रहे थे।


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