पिता बोले- मर्डर हुआ, बच्चों ने बताया- टीचर डंडे से मारते, गला दबाते हैं
‘दिनेश सर बच्चों को बहुत मारते हैं। दिनेश सर का भांजा भी हमारे हॉस्टल में ही रहता था। उसने तो एक बार रस्सी से मेरा गला दबाया था। मेरा दोस्त कृतार्थ शरारती था, इसलिए दिनेश सर और यशोधन सर उसे बहुत पीटते थे।’ ये बात कह रहे संजय की उम्र सिर्फ 10 साल है। वो हाथरस के रसगवां गांव में उसी डीएल पब्लिक स्कूल में पढ़ता है, जहां 23 सितंबर को कृतार्थ नाम के बच्चे की मौत हो गई। संजय स्कूल के हॉस्टल में कृतार्थ के साथ ही रहता था। कृतार्थ की मौत से दो दिन पहले घर चला गया था।
कृतार्थ की डेडबॉडी स्कूल के मैनेजर और मालिक दिनेश बघेल की कार से मिली थी। इसके बाद दिनेश, उसके पिता यशोधन, स्कूल के प्रिंसिपल लक्ष्मण सिंह, टीचर वीरपाल सिंह और रामप्रकाश सोलंकी को गिरफ्तार कर लिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि कृतार्थ की गले की हड्डी टूटी हुई थी और उसकी मौत दम घुटने से हुई।
मामले की पड़ताल करने दैनिक भास्कर हाथरस पहुंचा। कृतार्थ के पिता से बात की। हमने कृतार्थ के साथ पढ़ने वाले बच्चों से भी बात की। उनसे पता चला कि हॉस्टल में बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर भी बुरी तरह पीटा जाता था। 11 साल का कृतार्थ सेकेंड क्लास में पढ़ता था। कृतार्थ की मौत के बाद खबरें चलीं कि उसकी बलि दी गई है। ये भी कहा गया कि स्कूल के मैनेजर दिनेश के पिता यशोधन तांत्रिक हैं और उन्होंने ही तंत्र-मंत्र के लिए बच्चे की जान ले ली।
पिता बोले- तंत्र-मंत्र की बात झूठी, मेरे बेटे का मर्डर हुआ
कृतार्थ के पिता श्रीकृष्ण और स्कूल मैनेजर दिनेश बघेल के बीच अच्छी जान-पहचान है। वे अपने बेटे की बलि दिए जाने की बात से साफ इनकार करते हैं। कृतार्थ के बारे में पूछने पर श्रीकृष्ण बताते हैं, ’23 सितंबर को सुबह 5 बजे स्कूल से फोन आया कि कृतार्थ की तबीयत खराब है। मैंने दिनेश सर से बात की। उनसे कहा कि आप कृतार्थ को घर भिजवा दीजिए। हम उसे डॉक्टर को दिखा देंगे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।’
‘दिनेश की बातचीत से समझ आया कि वो सहदाबाद रोड पर कहीं है। मैं उसी तरफ गया। मुझे दिनेश की कार दिखी। मैंने बाइक से पीछा करके उसे रोक लिया। तब तक पुलिसवाले भी आ गए। कृतार्थ कार की पीछे वाली सीट पर था। वहीं उसका स्कूल बैग भी मिला। मैंने देखा कि कृतार्थ जिंदा नहीं है। पुलिस ने भी चेक किया। उन्होंने दिनेश को पकड़ लिया और कृतार्थ की डेडबॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी।’
‘इसके बाद मैं स्कूल पहुंचा। मुझे पता चला कि दिनेश मेरे बेटे को लेकर कहीं गया है। उससे बात की तो वो डेढ़ घंटे तक मुझे भटकाता रहा। हर बार अलग लोकेशन बताता। कोई मुझे ये नहीं बता रहा था कि दिनेश मेरे बेटे को लेकर गया कहां है। मैं परेशान हो गया, मैंने पुलिस को खबर की।’