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CBI केस में केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई


वकील बोले- केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं, CBI का आरोप- शराब नीति बनाने में वे शामिल

सुप्रीम कोर्ट आज गुरुवार (5 सितंबर) दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े CBI केस में CM अरविंद केजरीवाल की 2 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई। इनमें दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत से इनकार करने के फैसले और उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ याचिकाएं शामिल हैं। केजरीवाल की तरफ से एडवोकेट डॉ. एएम सिंघवी और CBI की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू दलीलें रख रहे हैं। केजरीवाल के वकील ने दलील दी है कि केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं। हालांकि, CBI ने आरोप लगाया है कि इस घोटाले से मिले पैसे से आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ है। केजरीवाल शुरू से ही शराब नीति बनाने और लागू करने की साजिश में शामिल थे।

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में बेल मिल चुकी तो CBI केस में क्यों नहीं
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा था- दिल्ली के मुख्यमंत्री को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 45 के सख्त प्रावधानों के बावजूद तीन बार जमानत मिल चुकी है। उन्होंने 10 मई और 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत आदेशों और 20 जून को PMLA मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए नियमित जमानत का भी हवाला दिया। सिंघवी ने कहा- ऐसे में केजरीवाल को जमानत देनी चाहिए।

केजरीवाल को 12 जुलाई को ED केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी
सुप्रीम कोर्ट ने ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई को जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं।

जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है।


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