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उदयपुर शहर के करीब लेपर्ड का मूवमेंट, पिंजरे में कैद


2 महीने में 5 पकड़े गए, 15KM दूर 4 दिन पहले तेंदुए को मारी गई थी गोली

उदयपुर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर शहर से सटे लखावली इलाके में एक लेपर्ड पिंजरे में आया है। इन इलाकों के आसपास के गांवों में लगातार लेपर्ड के बढ़ते मूवमेंट के बाद से यहां पिंजरे लगा रखे है। लेपर्ड के पिंजरे में आने की सूचना मिलने पर आसपास बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट गए। अब तक कुल 5 लेपर्ड पिंजरे में कैद हुए है। असल में लेपर्ड सोमवार शाम को वहां पहाड़ी पर लगे पिंजरे में लेपर्ड आ गया था। शाम करीब साढ़े 4 बजे बाद वहां लेपर्ड के घुर्राने की आवाज आई और देखा तो पिंजरे में लेपर्ड था।

अब तक 5 लेपर्ड पकड़े

  • 21 अक्टूबर : उदयपुर के लखावली पंचायत में लेपर्ड पिंजरे में आया
  • 23 सितंबर : छाली पंचायत के उमरिया गांव में 2 अलग-अलग पिंजरों में 2 लेपर्ड कैद हुए
  • 27 सितंबर : गोगुंदा के मजावद पंचायत के कुडाऊ गांव की भील बस्ती में पिंजरे में लेपर्ड आया
  • 28 सितंबर : गोगुंदा के छाली ग्राम पंचायत के बाघदड़ा गांव में लेपर्ड पिंजरे में कैद

लेपर्ड को सज्जनगढ़ बायो​लोजिकल पार्क ले गए

सूचना के बाद बरोड़िया वन नाके से वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और उसके बाद उदयपुर से भी टीम आई। शाम को टीम ने उस लेपर्ड को लेकर वहां से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायो​लोजिकल पार्क ले गए।

ग्रामीणों को लगातार दिखते है लेपर्ड

सरपंच डांगी ने बताया कि राजस्व गांव लखावली की आबादी और आगे पहाड़ी के पास भीलवाड़ा गांव की आबादी है जहां घर बने हुए है। वहां लेपर्ड की आवाजाही के बाद वहां रहने वाले लोग भयभीत थे। उन्होंने बताया कि यहां करीब 4 लेपर्ड हो सकते है क्योंकि यहां लगातार लेपर्ड ग्रामीणों को दिखता है।

पहले पिंजरा हटाया, फिर वापस लगाया

लखावली सरपंच मोहनलाल डांगी ने बताया कि यहां पहाड़ी इलाके में लगातार लेपर्ड की आवाजाही हो रही थी। इसके चलते पिछले महीने ही वन विभाग से पिंजरा लगवाया था, लेकिन लेपर्ड का मूवमेंट नहीं होने से विभाग ने यहां से पिंजरा हटा दिया था। सरपंच डांगी ने बताया कि इस बीच 3 दिन पहले 18 अक्टूबर को यहां तालाब के पास दोपहर के समय एक बकरी का लेपर्ड ने शिकार कर दिया। जब वहां लोगों ने शोर मचाया तो लेपर्ड बकरी वहीं छोड़ भाग गया, लेकिन बकरी की मौत हो गई। इस बीच गांव वालों की मांग पर वन विभाग ने वापस 19 अक्टूबर को पहाड़ी के वहां पिंजरा लगाया, जिसमें लेपर्ड कैद हो गया।

राठौड़ों का गुड़ा 15 किलोमीटर पड़ता है

लखावली से राठौड़ों का गुड़ा गांव करीब 15 किलोमीटर पड़ता है। राठ़ौड़ों का गुड़ा में ही एक पुजारी और एक महिला लेपर्ड के शिकार हुए थे। उसके बाद वन विभाग की टीमें वहां करीब 20 दिन से ज्यादा समय से लगी हुई है। वहीं एक दिन पहले लियो का गुड़ा में सीसीटीवी में एक लेपर्ड को रात के समय देखा गया था। वहां से लखावली के बीच 13 किमी की दूरी है।

मदार और राठौड़ों का गुड़ा में लगे है 18 पिंजरे

इस समय मदार में 5 और राठोड़ो का गुड़ा में 13 पिंजरे सहित वहां कुल 18 पिंजरे लगा रखे है। अब ज्यादा टीमों की भीड़ के बजाय छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर सर्च किया जा रहा है। मदार और बड़ी पंचायत सज्जनगढ़ सेंचुरी और बड़ी तालाब और मदार तालाब के पास है। ऐसे में यहां लेपर्ड इन तालाबों में प्यास बुझाने आते है और बाकी आवासमदार-बड़ी सेंचुरी और तालब के पास इनके सेंचुरी के आसपास ही है और ये मूवमेंट करते रहते है।


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