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श्रीमदभागवत कथा सुनने से मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती है-डॉ शास्त्री


दाखी बाई का 12 वर्ष एक माह के पश्चात मौन व्रत खुलने के प्रसंग पर हुई भागवत कथा

उदयपुर 24 मई- यूनिवर्सिटी रोड़ आदर्श नगर बी ब्लॉक स्थित श्री चामुण्डा माताजी मंदिर के 14 वें पाटोत्स्व के अवसर पर श्रीमद भागवत् कथा का सात दिवसीय आयोजन सम्पन्न हुआ कार्यक्रम संयोजक नाथू लाल सुथार ने बताया कि चामुंडा माता की सेवक व तपस्वी पुजारी श्रीमती दाखी बाई का 12 वर्ष एक माह के पश्चात मौन व्रत खुलने के प्रसंग एवं चौदहवाँ पाटोत्सव कार्यक्रम के तहत सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया जिसमें वृंदावन के कथा वाचक डॉक्टर प्रवीण चन्द्र शर्मा एवं शिवम् व उनकी टीम के द्वारा श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का चित्रण भजनों द्वारा प्रस्तुत किया गया

कार्यक्रम के समन्वयक चंद्र नारायण वशिष्ठ ने बताया कि शुक्रवार को भजन संध्या के समापन पर मुख्य अतिथि भाजपा आपदा राहत विभाग राजस्थान के प्रदेश संयोजक डॉक्टर जिनेंद्र शास्त्री थे,अध्यक्षता समाजसेवी सत्यनारायण चौधरी ने की,विशिष्ठ अतिथि आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर शशिकांत शर्मा, सुखाडिया विश्वविद्यालय छात्र संघ महासचिव कपीश जैन,समाजसेवी यतीन्द्र जैन,हितेश जैन थे डॉ शास्त्री ने भागवत कथा की महिमा बताता हुए कहा की भागवत पुराण हिन्दुओं की आस्था हैं,ये अट्ठारह पुराणों में से एक है। श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं।श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है।

श्री चंद्रनारायण वशिष्ठ ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि प्रथम दिन कान्हा का जन्मोत्सव ,द्वितीय दिन छप्पन भोग का आयोजन, तृतीय दिन कृष्ण सुदामा मित्रता का प्रसंग, चौथे दिन शिशुपाल वध का चित्रण,पांचवें दिन कृष्ण द्वारा कंश के वध का चित्रण, छठे दिन श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह एवं सातवें दिन भजन संध्या एवं पांच हज़ार भक्तों का प्रसादी का कार्यक्रम हुआ इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक चंद्र नारायण वशिष्ठ,कार्यक्रम संयोजक नाथू लाल सुथार ,ईश्वर मुंडानिया, श्रीमती इंदु वशिष्ठ,अंकित मुंडानिया,भरत शर्मा ,योगेश शर्मा, राजेश गुर्जर,देवीलाल सुथार ,राधाकृष्ण सुथार,श्रीमती माया शर्मा , बबली गौयल, हेमलता गोयल,शशि दूबे,काजल गुप्ता,श्रीमती सपना वागवानी ,संतोष सुथार, मौनी बाई, प्रियंका सुधार,ललिता घांची आदि मौजूद थे


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