नाजिम के साथ सेल्फी, दिल जीतने की बातों को कैसे देखते हैं कश्मीरी
‘धरती के इस स्वर्ग पर आने की खुशी मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। 2014 में मैंने आप लोगों का दिल जीतने का सपना देखा था। आज 2024 में मैं फिर आपके बीच आया हूं तो मुझे लग रहा है कि मैं आपका दिल जीतने के काबिल बन चुका हूं।’
2019 में आर्टिकल-370 हटाने के बाद PM मोदी पहली बार कश्मीर पहुंचे तो उनका फोकस डेवलपमेंट और नए कश्मीर पर था। 7 मार्च को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में PM ने कहा, ‘मैं ये सारी मेहनत आपका दिल जीतने के लिए कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि मैं सही रास्ते पर हूं। मैं आपका दिल जीतने की अपनी कोशिशें जारी रखूंगा।’
कश्मीर में लोकसभा की तीन सीटें हैं। BJP इन सीटों पर कभी नहीं जीत पाई है। इसलिए पार्टी का फोकस घाटी पर है।कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी लेने वाले नाजिम नजीर से भी मिले। नाजिम साउथ कश्मीर के पुलवामा में रहते हैं।
सबसे पहले नाजिम की बात
PM के स्टैच्यू के साथ सेल्फी ली थी, उनके साथ सेल्फी चाहिए थी
PM मोदी बख्शी स्टेडियम में लोगों से बात कर रहे थे, तभी नाजिम ने कहा कि मुझे आपके साथ सेल्फी लेनी है। प्रधानमंत्री ने नाजिम के साथ सेल्फी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर भी किया।
PM मोदी के साथ सेल्फी लेने की ख्वाहिश पर नाजिम बताते हैं, ‘2023 में एक प्रोग्राम में मैंने PM मोदी के स्टैच्यू के साथ सेल्फी ली थी। अब वे खुद कश्मीर में थे और मेरे सामने थे तो मुझे लगा कि मैं उनसे सेल्फी की गुजारिश करूं। PM ने भी मेरी गुजारिश मंजूर कर ली। उन्होंने न सिर्फ मुझे अपने साथ सेल्फी लेने का मौका दिया, बल्कि मुझे अपना दोस्त भी बताया।’
नाजिम का शहद का कारोबार, 2023 में 5 हजार किलो शहद बेचा
पुलवामा के सांबुरा गांव में रहने वाले नाजिम शहद का कारोबार करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को अपनी कहानी भी सुनाई थी। स्टूडेंट से कारोबारी बनने के सफर पर नाजिम बताते हैं, ‘मैं 2018 में 10वीं में था। तभी से बी कीपिंग का काम शुरू कर दिया था। मैंने घर की छत पर मधुमक्खी पालने के लिए के दो बॉक्स रखे थे। स्कूल से लौटने के बाद इनकी देखरेख करता था।’
‘शुरुआत में इस काम के बारे में बहुत जानकारी नहीं थी। इसलिए इंटरनेट पर मधुमक्खी पालने और शहद के कारोबार के बारे में पता किया। तब घाटी में बवाल की वजह से इंटरनेट सर्विस बंद कर दी जाती थीं।’
‘2019 में मैंने सोचा कि दो बॉक्स से आगे कैसे बढ़ूं। पहले तो कुछ सूझा नहीं। परिवार की माली हालत भी अच्छी नहीं थी। मेरा परिवार तब सिर्फ 2 हजार रुपए महीना कमाता था। मेरे लिए एक हजार रुपए भी बहुत ज्यादा होते थे। काम आगे बढ़ाने के लिए मैंने सरकार से मदद मांगी। 50% सब्सिडी पर मुझे 25 बॉक्स मिले। इसके बाद मैंने पहली बार 75 किलो शहर निकाला।’