इस दिन सूर्य पूजा और व्रत करने का विधान, मान्यता: उगते सूरज को अर्घ्य देने से दूर होती है बीमारियां
16 फरवरी, शुक्रवार को रथ सप्तमी है। इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाने और उगते सूर्य की पूजा करने की विधान है। श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब से भी ये व्रत और सूर्य पूजा करवाई थी। जिससे सांब की कोढ़ की बीमारी दूर हुई थी। रथ पर बैठे सूर्य की पूजा करने के कारण इसे रथ सप्तमी कहा जाता है।
ग्रंथों के मुताबिक इस दिन किए गए स्नान-दान और सूर्य पूजा कई गुना पुण्य मिलता है। इस दिन सूर्य पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं और सेहत में सुधार होता है। मत्स्य पुराण के मुताबिक ये पूरी तरह से सूर्य देव को समर्पित व्रत है। रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा की विधि
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर सूरज उगने से पहले नदी में नहाएं। नदी में डूबकी लगाते समय सिर पर बैर और मदार के सात-सात पत्ते रखें। फिर सात-सात बैर और मदार के पत्ते, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। सप्तमी देवी को नमस्कार करते हुए सूर्य को प्रणाम करें।
तीर्थ स्नान के बाद उगते सूरज को अर्घ्य दें और सूर्य को नमस्कार करें। घी के दीपक, लाल फूल, कपूर और धूप के साथ सूर्य पूजन करें। इस अनुष्ठान से लंबी उम्र और सफलता मिलती है।
रथ सप्तमी के दिन कई घरों में महिलाएं सूर्य देवता के स्वागत के लिए उनका और उनके रथ के साथ चित्र बनाती हैं। वे अपने घरों के सामने सुंदर रंगोली बनाती हैं।
आंगन में मिट्टी के बर्तनों में दूध डाल दिया जाता है और सूर्य की गर्मी से उसे उबाला जाता है। बाद में इस दूध का इस्तेमाल सूर्य भगवान को भोग में अर्पण किए जाने वाले चावलों में किया जाता है।
व्रत कथा: सूर्य उपासना से खत्म हुई थी श्रीकृष्ण के पुत्र की बीमारी
माघ शुक्ल सप्तमी से संबंधित कथा का जिक्र पौराणिक ग्रंथों में हुआ है। जिसके मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को अपने शारीरिक बल पर अभिमान हो गया था।
जब दुर्वासा ऋषि कई दिनों तक तप कर के भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए तब उनका शरीर बहुत कमजोर हो गया था। सांब ने उनकी दुर्बलता का मजाक उड़ाया और अपमान किया। इससे क्रोधित दुर्वासा ऋषि ने साम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दिया।
साम्ब की ये स्थिति देखकर श्रीकृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा। पिता की आज्ञा से साम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना की। जिससे कुछ ही समय में ही कुष्ठ रोग ठीक हो गया।
कथा के मुताबिक सप्तमी पर भगवान सूर्य की आराधना से आरोग्य, पुत्र और धन प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्य देने वाला कहा गया है और सूर्य उपासना से रोग मुक्ति का रास्ता भी बताया है।