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रिसर्च में दावा-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग का खतरा


VITT दुर्लभ, पर खतरनाक डिसऑर्डर; कंपनी ने कोर्ट में साइड इफेक्ट की बात मानी थी

ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन से एक और गंभीर बीमारी के खतरे का पता चला है। रिसर्च में दावा किया गया है कि वैक्सीन लगाने के चलते इम्यून थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया और थ्रॉम्बोसिस (VITT) हो सकते हैं। हालांकि, खून का थक्का जमाने वाला ये रेयर डिसऑर्डर (किसी-किसी को होने वाला) है, लेकिन खतरनाक है। रिसर्चर्स का ये भी कहना है कि यह कोई नया डिसऑर्डर नहीं है। VITT एडेनोवायरस वेक्टर-आधारित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाए जाने के बाद एक नई बीमारी के रूप में उभरा। 2021 में कोरोना काल में एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर भारत में कोवीशील्ड और यूरोप में वैक्सजेवरिया वैक्सीन बनाई गई।

सबसे पहले ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट ने केस किया
अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे।

कंपनी ने पहले दावों को नकारा, फिर माना
पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से TTS नहीं हो सकता है। हालांकि इस साल फरवरी में हाईकोर्ट में जमा किए दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई। इन दस्तावेजों की जानकारी अब सामने आई है। हालांकि वैक्सीन में किस चीज की वजह से यह बीमारी होती है, इसकी जानकारी फिलहाल कंपनी के पास नहीं है। इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां हैं और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई।


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