उदयपुर,7 जनवरी 24। आहुति सेवा संस्थान की ओर से स्वागत वाटिका सेक्टर 4 में संत समागम कार्यक्रम में श्री आनंदम धाम पीठ वृंदावन के पीठाधीश्वर परम पूज्य सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज, महामंडलेश्वर आचार्य श्री नर्मदा शंकर पुरी जी, दिगंबर संत खुशाल भारती जी, हितेश्वरानंद सरस्वती, लक्ष्मण पुरी जी,पूर्व विधायक धर्मनारायण जोशी के द्वारा “इंडिया से भारत की ओर” अभियान का पोस्टर विमोचन और ऑडियो गीत का लोकार्पण किया गया।
संस्थान के अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक डॉ.विक्रम मेनारिया ने बताया की सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इस राष्ट्रीय अभियान के शुभारंभ के साथ ही ऑडियो गीत का लोकार्पण किया गया। संत समागम में सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा की संत दर्शन का यह अद्भुत संयोग है, जब से सृष्टि है तब से संत भी हैं और गृहस्थी भी हैं संत वह है जो व्यक्तिगत आशाओं से ऊपर उठकर राष्ट्र मानव और प्राणी मात्र के कल्याण हेतु संकल्पबद्ध है, गृहस्थ वह है जो निजी गृह में स्थित हो। दोनों में आज गहरी खाई है गृहस्थ का यह अर्थ नहीं कि वह कुछ भी करें।
आज डिप्रेशन की बड़ी समस्या है इसका कारण ईश्वर के विधान को ना मानना है, हमें बुद्ध बनना चाहिए ना की बुद्धू बनना है जो जीवन में स्वस्थ और प्रसन्न रहे। उन्होंने सुदामा का उदाहरण देते हुए समझाया कि द्रोणाचार्य की तरह सुदामा ने जो कि उस समय के विद्वान महात्मा थे विद्या को नहीं भेजा तो द्वारकाधीश स्वयं ने सुदामा की चरण को हमें गीता को समझना होगा और माता-पिता अपने बच्चों को इतना संस्कारवान अवश्य बनाएं की वह कह सके कि मेरी मां सुपर हीरोइन है और मेरे पिता सुपर हीरो।
भारत का निर्माण करने हेतु हमें अपने स्वयं से शुरुआत करनी होगी तभी वसुधैव कुटुंबकम् की परिकल्पना साकार होगी। सबसे पहले स्वयं जाग कर विचारों से हम भारतीय बने। विवाह संस्कार के बारे में उन्होंने कहा कि उसे इवेंट न बनने दें। दो तरह के कार्ड बनाएं पहले जो केवल विवाह की जगह आने वाले अतिथियों और दूसरा जो सनातन मूल्य में आस्था रखकर रास्ता रखने वाले साधुओं को आमंत्रित किया जाए। हमें मां के उन्नयन के लिए काम करना होगा यदि ऋषि, गुरु व मुनि श्राप भी देता है तो उससे मंगल ही होता है। हम बच्चों को मातृ पितृ भक्त राष्ट्रभक्ति ईश्वर भक्ति बनाने हेतु उन्हें प्रेरित करें।
राष्ट्रीय महाकाल सेना के संस्थापक श्री श्री 1008 दिगंबर संत खुशाल भारती महाराज ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि हमें संगठित होकर सनातन धर्म के परिचायक मंदिरों और मठों हेतु तन मन धन से आहुति देनी चाहिए। उन्होंने पार्टी वर्ग के भेदभाव को छोड़कर संगठित हो मनुष्य बनने का आह्वान किया। इस अवसर पर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर आचार्य नर्मदा शंकर पुरी जी महाराज ने कहा कि जो भगवान से भयभीत होता है वह कभी भक्त नहीं होता अतः भगवान से मन को जोड़कर भक्ति की ओर बढ़े। हम अध्यात्म को जान भी लेऔर माने भी।
कटावला मठ के महंत और अनुष्ठान फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मेवाड़ की धरा भक्ति, आस्था, शौर्य और पराक्रम की धरा है। उन्होंने अपने महान योद्धाओं से प्रेरणा लेकर तपस्वी त्यागी और बलिदानी बनने का आह्वान किया। लक्ष्मण पूरी ने अपने ओजस्वी काव्य पाठ से मेवाड़ी संस्कृति का बखान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से एवं समापन शांति मंत्र से हुआ।
पूर्व विधायक व संस्थान के मुख्य संरक्षक धर्मनारायण जोशी ने स्वागत भाषण दिया। पूर्व राज्य मंत्री जगदीश राज श्रीमाली, स्वप्निल स्वाभाविक, दिनेश वरदार, चंद्रप्रकाश सुराणा, हेरंब जोशी, डॉ. रेनू पालीवाल, आशीष सिंहल,विवेक सिंह, देवाराम राजपुरोहित ने संतो का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.भूपेंद्र शर्मा ने किया एवं आभार दिनेश वरदार ने व्यक्त किया। इस अवसर पर सिद्धेश्वर सिद्धू,प्रदीप नागदा,विजय प्रकाश विप्लवी, डॉ.लोकेश भारती,राकेश पोरवाल,राजश्री गांधी,एडवोकेट रागिनी शर्मा,गजेंद्र चौबीसा, कुलदीप मेनारिया, कैलाश राजपुरोहित इत्यादि बड़ी संख्या में धर्म निष्ठजन उपस्थित थे।