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शेखर सुमन और कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा भाजपा में शामिल


प्रमोद कृष्णम बोले- राहुल अड़े न होते तो प्रियंका अध्यक्ष होतीं

लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज के चुनाव के दौरान मंगलवार को एक्टर शेखर सुमन और कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा हेडक्वार्टर में पार्टी महासचिव विनोद तावड़े और प्रवक्ता अनिल बलूनी की मौजूदगी में दोनों ने सदस्यता ली। शेखर सुमन बिहार की पटना साहिब सीट से भाजपा के सांसद रहे फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर 2009 में चुनाव लड़ चुके हैं। शेखर सुमन ने कहा कि मुझे कल तक नहीं पता था कि मैं क्या करूं, भगवान का आदेश आया और मैं आज भाजपा में शामिल हो गया।

उधर, कांग्रेस से निष्कासित चल रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में दावा किया कि राहुल नहीं अड़े होते तो खड़गे की जगह प्रियंका गांधी आज कांग्रेस की अध्यक्ष होतीं। राहुल ने प्रियंका को राज्यसभा में भी नहीं जाने दिया और रायबरेली से चुनाव भी नहीं लड़ने दिया। वहीं राधिका खेड़ा ने एक दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था। वे छत्तीसगढ़ की प्रभारी थीं। वहां स्थानीय नेताओं से विवाद के बाद उनका एक रोते हुए वीडियो सामने आया था। खेड़ा ने छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रवक्ता पर दुर्व्यवहार करने और एक मीटिंग के दौरान शराब ऑफर करने का आरोप लगाया था।

प्रमोद कृष्णम ने यह भी कहा कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राहुल गांधी ने करीबियों से कहा था कि कांग्रेस की सरकार आने पर फैसले को शाह बानो केस की तरह पलट देंगे। अगर मैं झूठ बोल रहा हूं तो राहुल मेरी बात का खंडन करें। मैं उन्हें चुनौती देता हूं।

प्रियंका बोलीं- आज देश में ब्रिटिश साम्राज्य जैसे हालात

रायबरेली में मंगलवार को प्रियंका गांधी ने कहा-5 किलो राशन देकर लोगों को बड़े सपने दिखाए जा रहे हैं। हम आपको यह दिखाएंगे की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत हो रही है। आपके जीवन में यह सच्चाई नहीं दिख रही है। लोकतंत्र को मजबूत करने वाले संस्थानों को कमजोर किया गया है। चाहे वह मीडिया हो या न्यायपालिका। इनकी कोशिश रही है कि संसद भी मजबूत न रह पाए। प्रियंका ने कहा-एक तरफ लोकतंत्र है। सत्य है। सच्चाई है। दूसरी तरफ किसी न किसी तरह का आतंक है। आज जो स्थिति है वह ब्रिटिश साम्राज्य में हुआ करती थी। आज देश के गरीब व किसान को नकारा जा रहा है। पिछले 10 साल में नरेंद्र मोदी सरकार में उनको ध्यान में रखकर नीतियां नहीं बनाई गई। बल्कि बड़े-बड़े खरबपतियों के लिए बनाई गई। देश का किसान पिस रहा है। मेहनत कर रहा है। लेकिन मेहनत की कमाई उसकी पूरी नहीं हो रही है।


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