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35 हजार प्राइवेट स्कूलों में स्टूडेंट्स को मिलेगा फ्री एडमिशन


3 से 21 अप्रैल तक RTE में कर सकेंगे आवेदन, लॉटरी से होगा सिलेक्शन

राजस्थान के प्राइवेट स्कूलों में फ्री एडमिशन का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स का इंतजार खत्म हो गया है। 3 अप्रैल से राजस्थान में राइट टू एजुकेशन (RTE) पॉलिसी के तहत आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जो 21 अप्रैल तक चलेगी।

23 अप्रैल को राइट टू एजुकेशन पॉलिसी के लिए लॉटरी निकाली जाएगी। इसके बाद 30 अप्रैल तक पेरेंट्स को ऑनलाइन रिपोर्टिंग करनी होगी। इस प्रक्रिया के तहत प्रदेशभर के 35 हजार प्राइवेट स्कूलों में प्री प्राइमरी और क्लास फर्स्ट में 2 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा।

25 फीसदी सीटों पर मिलता है फ्री एडमिशन
RTE कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों को अपने यहां एंट्री लेवल की कक्षा में कुल संख्या में से 25 फीसदी सीटों पर फ्री प्रवेश देना होगा। बाकी 75 प्रतिशत सीटों पर वे फीस लेकर प्रवेश दे सकते हैं। 25 फीसदी सीटों पर फ्री प्रवेश का भुगतान राज्य सरकार देती है। बच्चा जिस वार्ड या गांव का है, उसे अपने क्षेत्र के निजी स्कूल में पहले प्राथमिकता दी जाती है। सीट खाली होने पर दूसरे वार्ड के बच्चे को प्रवेश दिया जाएगा।

प्रवेश के लिए निकाली जाने वाली लॉटरी में दिव्यांग और अनाथ बच्चों को प्राथमिकता मिलेगी। यानी इन बच्चों का सबसे पहले प्रवेश होगा। इसके बाद अन्य विद्यार्थियों को प्राथमिकता में रखा जाएगा। इससे पहले इन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाती थी।

बता दें कि शिक्षा विभाग द्वारा राजस्थान में प्री प्राइमरी और क्लास फर्स्ट में स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत प्री प्राइमरी क्लास के लिए तीन से चार साल तक की उम्र के स्टूडेंट्स अप्लाई कर सकेंगे, जबकि क्लास फर्स्ट के लिए 5 साल से 7 साल की उम्र तक के स्टूडेंट से अप्लाई कर सकेंगे।

RTE एडमिशन के लिए आवेदक को राजस्थान का स्थायी निवासी होने के साथ ही उसके परिवार की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपए से कम होनी जरूरी है। इसके साथ ही एडमिशन के लिए आय प्रमाण पत्र, बच्चे का आयु प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, बीपीएल कार्ड, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो होना जरूरी है।

ऑटो रिपोर्टिंग का सिस्टम लागू किया
लॉटरी के बाद अभिभावकों को 5 निजी स्कूलों में से किसी एक स्कूल में ऑनलाइन रिपोर्टिंग करनी होती है, लेकिन अभिभावक ऐसा करना भूल जाते हैं। इससे बचने के लिए विभाग ने इस बार ऑटो रिपोर्टिंग का सिस्टम लागू किया है।

स्कूल ऑब्जेक्शन कर सकेंगे, रिजेक्शन नहीं
दस्तावेज जांच में निजी स्कूल वाले दस्तावेजों पर केवल आपत्ति कर सकेंगे, दस्तावेज को रिजेक्ट नहीं कर सकेंगे। स्कूल की ओर से आपत्ति के बाद सीबीईओ देखेंगे कि स्कूल की तरफ से लगाई गई आपत्ति सही है या गलत।


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