पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर नहाने से दोष दूर होंगे, भगवान विष्णु की पूजा का भी दिन
आज माघ मास का आखिरी दिन है। इसे माघी पूर्णिमा कहते हैं। तिथि वार और नक्षत्रों से मिलकर आज शुभ संयोग बन रहा है। इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल और तिल मिलाकर नहाने का विधान ग्रंथों में बताया है।
इस दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद पीपल में जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के लिए श्राद्ध करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है।
ग्रंथों का कहना है कि माघ महीने की पूर्णिमा पर सफेद और गरम कपड़े, तिल, घी, नमक, गुड़, भोजन, कपास और चांदी का दान करना चाहिए। दिनभर व्रत रखते हुए सिर्फ फल खाएं और दूध पी सकते हैं। इस दिन सफेद कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करनी चाहिए।
तिल स्नान से दूर होंगे दोष
शनिचरी पूर्णिमा पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं। इस पर्व पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है।
इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृ दोष का असर कम होने लगता है।
माघी पूर्णिमा के संयोग में सूर्य पूजा
माघ महीने की पूर्णिमा पर सहस्त्रांशु रूप में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन उगते हुए सूर्य को तांबे के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते हुए ऊँ घृणि सूर्य आदित्याय नम: मंत्र बोलना चाहिए।
इस पर्व पर पानी में लाल चंदन, लाल फूल और तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देने का विधान पुराणों में बताया गया है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने सेहतमंद रहते हैं और उम्र भी बढ़ती है।
सत्यनारायण भगवान की पूजा करें
पूर्णिमा पर सुबह पानी में तिल डालकर नहाएं। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर तुलसी और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। पीपल की पूजा करें। घी का दीपक लगाकर परिक्रमा करें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
घर पर पूजा न कर पाएं तो मंदिर जाकर दर्शन ही कर सकते हैं। इस पर्व पर किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर सत्यनारायण कथा करवाएं। ब्राह्मण भोजन करवाएं और जरुरतमंद लोगों को दान दें।