सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ाई, अगली सुनवाई 18 मार्च को
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (14 फरवरी) को पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर लगी रोक 17 मार्च तक बढ़ा दी। कोर्ट ने 15 जनवरी को हुई पिछली सुनवाई में गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट में बताया कि खेडकर जांच में सहयोग कर रही हैं लेकिन पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का 23 दिसंबर 2024 का आदेश पलट दिया था। पूजा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि हाईकोर्ट के आदेश में कुछ ऐसी टिप्पणी हैं जो ट्रायल शुरू होने पर पूजा के खिलाफ प्रयोग हो सकते हैं। इस पर बेंच ने UPSC और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि यह न केवल एक संवैधानिक निकाय के साथ बल्कि समाज और पूरे देश के साथ धोखाधड़ी है। हाईकोर्ट ने माना था कि पूजा के माता-पिता बड़े पदों पर थे। इससे प्रभावशाली व्यक्तियों से मिलीभगत की आशंका का संकेत मिलता है।
वहीं, कोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए दिया गया समय भी बढ़ाया है। पूजा पर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा पास करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और दिव्यांगता कोटे से आरक्षण लेने के लिए धोखाधड़ी करने का आरोप है।
पूजा पुणे में ट्रेनी अफसर की ट्रेनिंग कर रही थीं। इस दौरान उन पर सुविधाएं मांगने का आरोप लगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने की शिकायत भी सामने आई। उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की प्लेट लगवाई।
पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। इसके बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने UPSC में सिलेक्शन पाने के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया। जांच आगे बढ़ी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।