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राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग


चौरासी में 15 मिनट तक रुका मतदान; किरोड़ीलाल-हनुमान की सियासी प्रतिष्ठा दांव पर

प्रदेश की सात विधानसभा सीटों सलूंबर,चौरासी, झुंझुनू, खींवसर, रामगढ़, दौसा और देवली-उनियारा में उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है। सुबह 7 बजे शुरू हुए मतदान के लिए वोटर्स में खासा उत्साह है। अधिकतर पोलिंग बूथ पर पुरुषों के साथ महिला वोटर्स की भी अच्छी संख्या नजर आ रही है। वोटर्स को फील गुड महसूस कराने के लिए बूथों को आकर्षक तरीकों से सजाया गया है। शुरुआती दौर में केवल चौरासी विधानसभा सीट के एक बूथ पर 15 मिनट के लिए मतदान रुका। ईवीएम सही होने के बाद वोटिंग फिर से शुरू हो गई।

23 नवंबर को आएंगे उपचुनाव के नतीजे

इनमें देवली-उनियारा सीट पर सबसे ज्यादा 3.02 लाख वोटर्स हैं। उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। सातों सीटों पर हो रहे उपचुनाव में 69 कैंडिडेट मैदान में है। उपचुनाव के नतीजे सरकार और विपक्ष दोनों के सियासी नरेटिव को तय करेगा। उपचुनाव की पांच सीट खींवसर, सलूंबर,चौरासी, देवली-उनियारा और झुंझुनूं सीट पर कांटे की टक्कर है। इन चुनावों में हनुमान बेनीवाल और किरोड़ीलाल मीणा जैसे राजनीतिक दिग्गजों की भी सियासी प्रतिष्ठा दांव पर है। क्योंकि खींवसर से हनुमान बेनीवाल की पत्नी और दौसा से किरोड़ीलाल के भाई चुनावी मैदान में हैं।

डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा क्षेत्र के भंडारा भादर बूथ संख्या 105 पर ईवीएम में तकनीकी खराबी सामने आई। मतदान शुरू होते ही ईवीएम खराब हो गई। जिस पर सेक्टर मजिस्ट्रेट को सूचना दी गई। ईवीएम की तकनीकी खराबी को ठीक कर मतदान शुरू हुआ। तकनीकी खराबी से 15 मिनट तक वोटिंग रुकी।

  • झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अमित ओला, बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र भांबू और निर्दलीय राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। इस सीट पर कांटे की टक्कर है।
  • वोटिंग से पहले अल्पसंख्यक वोटर का रुझान तय होगा और यही सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट होगा।
  • निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र गुढ़ा अल्पसंख्यक और राजपूत वोटर में सेंध लगाते दिख रहे हैं, गुढ़ा कितने अल्पसंख्यक वोट ले पाते हैं, इससे सीट का नतीजा तय होगा।
  • राजस्थान की हॉट सीट खींवसर में इस बार भी कांटे का मुकाबला है।
  • RLP से हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल, बीजेपी उम्मीदवार रेवंतराम डांगा और कांग्रेस उम्मीदवार रतन चौधरी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
  • यहां जातीय वोटों की गोलबंदी से समीकरण बदले हुए हैं।

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