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कुत्ते ने काटा तो इंजेक्शन से फेफड़े खराब हुए


अब गिनीज बुक के लिए 70679 सीढ़ियां चढ़कर नया रिकॉर्ड बनाया

बचपन में कुत्ते ने काट लिया तो फेफड़े खराब होने लगे। फिर अपनी सेहत पर काम किया। आखिर सेना में भर्ती हुए। ये हैं जयपुर के पूर्व कमांडो हिम्मत सिंह राठौड़ (40)। जिन्होंने अब 70 हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए भेजा है। उन्होंने 6 मई को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर सीढ़ियां चढ़ने की शुरुआत की थी, जो 7 मई को शाम 5.35 बजे खत्म हुई। वे 23 घंटे 43 मिनट बिना रुके सीढ़ियां चढ़ते रहे। अब करीब तीन महीने बाद उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इससे पहले ये रिकॉर्ड क्रिश्चियन रॉबर्टो लोपेज रोड्रिग्ज ​​​​​​के नाम था। हिम्मत सिंह ने उनसे 500 सीढ़ियां ज्यादा चढ़कर रिकॉर्ड बनाया। खास बात ये है कि उन्होंने ये रिकॉर्ड सिर्फ 500 रुपए के जूते पहनकर बनाया।

गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड के गाइडलाइन के अनुसार सीढ़ियां चढ़ने की शुरुआत हुई
हिम्मत सिंह ने बताया- 70 हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़ने का सफर आसन नहीं था। गिनीज बुक की गाइडलाइन के अनुसार मुझे सब कुछ करना था। इसके लिए तीन कैमरे और चार अधिकारी निरीक्षण के लिए लगाए गए। एक कैमरा मेरे साथ चलता रहा। एक अधिकारी ने सीढ़ियों के सबसे निचले छोर पर निरीक्षण किया। एक सबसे ऊपर और एक टाइम नोट करने वाला मौजूद रहा। ये सब देखना समझना इतना आसन नहीं था।

फेफड़े खराब, लेकिन हिम्मत और हौसले से आर्मी में बने कमांडो
हिम्मत सिंह राठौड़ ने बताया- 14 साल की उम्र में मुझे कुत्ते ने काट लिया था। उस वक्त मुझे 14 इंजेक्शन लगे। इंजेक्शन ने गलत असर किया। मेरे शरीर में गांठ बन गईं। इसकी वजह से फेफड़ों में पानी भर गया। अजमेर के पास मेरा गोला खारवा नाम से गांव है। यहां के 90 प्रतिशत लोगों के लिए सेना ही नौकरी है। जब मेरे फेफड़े खराब हुए तो मुझे सबसे पहले चिंता हुई कि मैं आर्मी में नहीं जा पाऊंगा। ढाई किलो पानी मेरे फेफड़ों से निकाला गया था। उसी वक्त मैंने अपनी फिटनेस पर काम करना शुरू किया। एक से दो महीने के अंदर फिजिकल एक्टिविटी के जरिए खुद को ठीक कर लिया। 17 साल आर्मी में रहा। कश्मीर से लेकर चाइना बॉर्डर तक पर ड्यूटी की।

2500 युवाओं को फ्री में आर्मी के लिए ट्रेंड करने के साथ सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी
हिम्मत सिंह ने बताया- दिसंबर 2020 में रिटायरमेंट के बाद फ्री बैठना मंजूर नहीं था। इसलिए बच्चों को फ्री में ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया। अब तक 2500 युवाओं को ट्रेंड कर चुका हूं। इससे उन्हें नौकरी पाने में सफलता मिल सके। देश के लिए वो खेल सकें। 150 बच्चों की ट्रेनिंग के आधार पर नौकरी भी लगी।


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