पार्टी की दोतरफा स्ट्रैटजी; मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न बदल सकते हैं ये फैक्टर
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत कुछ बदला, लेकिन BJP को लेकर मुस्लिम वोटर्स का रवैया नहीं। CSDS के मुताबिक दोनों चुनाव में सिर्फ 8% मुसलमानों ने BJP को वोट दिया। 2019 के बाद हुए विधानसभा चुनावों में भी ये पैटर्न कायम रहा। मुसलमान BJP को हराने के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी को ही एकजुट वोट करते हैं।
जैसे- 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 77% मुस्लिम वोट महागठबंधन को मिले। 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव में 75% मुस्लिम वोट ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को मिले। 2022 के UP विधानसभा चुनाव में 79% मुस्लिमों ने समाजवादी पार्टी को वोट किया। ये सभी पार्टियां BJP को चुनौती दे रही थीं।
2024 लोकसभा चुनाव में BJP मुस्लिम वोट के इस पैटर्न को तोड़ना चाहती है। BJP माइनॉरिटी यूनिट के प्रवक्ता यासिर जिलानी का कहना है कि पार्टी ने मुस्लिमों के 16%-17% वोट हासिल करने का टारगेट रखा है। RSS नेता इंद्रेश कुमार का दावा है कि BJP को पिछली बार के मुकाबले मुस्लिमों का ज्यादा वोट शेयर मिलेगा।
दिल्ली बेस्ड थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज यानी CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक इस बात में हकीकत तो है कि विपक्षी पार्टियों से भी मुस्लिमों में एक असंतोष तो है, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के पास कोई ऑप्शन भी नहीं है।
संजय कुमार कहते हैं कि अखिलेश, तेजस्वी, ममता या राहुल को मुस्लिम इसलिए वोट नहीं देते कि उन्होंने उनकी कम्युनिटी के लिए बहुत कुछ कर दिया है। उनके सामने बुरे और बेहद बुरे में तय करने का सवाल है। इसलिए वो बुरे की तरफ जाते हैं, बेहद बुरे की तरफ नहीं।
CSDS के एसोसिएट प्रोफेसर हिलाल अहमद के मुताबिक सिर्फ BJP ही मुसलमानों के आउटरीच की बात कर रही है। दूसरी पार्टियों में अगर TMC और दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस को छोड़ दें, तो कोई बहुत कोशिश भी नहीं कर रहा है। दूसरे राजनीतिक दल इस पसोपेश में हैं कि उनके ऊपर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप न लगे और उन्हें मुस्लिमों का वोट भी मिल जाए। विपक्ष का रवैया कि मुसलमान तो हमें वोट देगा ही, इससे उनका कोर वोट बैंक खिसक रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार हसन सुरूर के मुताबिक, कई मुस्लिम कहते दिख जाते हैं कि मोदी ने काम किया है। हालांकि, वो BJP को वोट मुश्किल से ही देंगे, क्योंकि इसे कम्युनिटी के साथ गद्दारी की तरह देखा जाता है।
BJP ने दोतरफा स्ट्रैटजी का बहुत कैलकुलेटेड कदम उठाया है। एक तरफ तो पसमांदा और मुस्लिम औरतों की बात करती है, दूसरी तरफ मुस्लिम विरोधी विमर्श को अप्रत्यक्ष रूप से लगातार स्थापित कर रही है। ये कुछ दिनों में बढ़ गया है- चाहे असम में हो या हल्द्वानी में।
प्रोफेसर हिलाल अहमद कहते हैं कि BJP को 3 तरह का वोट मिलता है- 1. कोर वोटर, 2. पार्टी सिंपैथाइजर, 3. फ्लोटिंग वोटर। अपने कोर वोटर को एकजुट रखने के लिए BJP एंटी-मुस्लिम विमर्श चलाती है, लेकिन सिंपैथाइजर और फ्लोटिंग वोटर के लिए मुस्लिम आउटरीच जैसे प्रोग्राम भी चलाती है।
BJP के दो पदाधिकारियों ने न्यूज एजेंसी रायटर्स को बताया कि 543 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव में BJP का फोकस उन 64 सीटों पर है, जहां मुस्लिम आबादी 30% से ज्यादा है। यहां फिलहाल BJP की 2 दर्जन सीटें हैं। हालांकि, उन्होंने सीटों के नाम नहीं बताए।
CSDS के हिलाल अहमद के मुताबिक BJP ने पहले भी चुनावों में मुस्लिम सपोर्ट पाने की कोशिश की है, लेकिन इस बार व्यापक तरीके से नेशनल कैंपेन चलाया है। अगर विपक्ष ने काउंटर नहीं किया तो आने वाले चुनाव में BJP को मुस्लिम वोटों का कुछ फायदा मिल सकता है, लेकिन ये कहना अतिशयोक्ति होगी कि ये 8% से बढ़कर 16% हो जाएगा।
CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक, ‘BJP आउटरीच प्रोग्राम जरूर चला रही है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मुस्लिमों के वोटिंग पैटर्न में कोई खास फर्क पड़ेगा। ये 8% से घटकर 6% हो सकता है या बढ़कर 10% भी हो सकता है, लेकिन इसे कोई बड़ा परिवर्तन नहीं कहेंगे।’
संजय कुमार का कहना है, ‘मुस्लिमों का वोट BJP की तरफ न जाने के कारण बहुत साफ हैं। जैसे- UP में सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ कंसोलिडेटेड रहेगा। ऐसे ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ, दिल्ली में आप-कांग्रेस के साथ रहेगा। मुस्लिम वोटर्स के BJP के साथ जाने की कोई वजह दिख नहीं रही है। जो पार्टी हमेशा हिंदुत्व की बात करती है, एक भी मुसलमान को टिकट नहीं देती। आखिर उसे मुसलमान अपना वोट क्यों देगा।’